निश्चय कर लें
काव्य साहित्य | कविता जितेन्द्र मिश्र ‘भास्वर’1 Dec 2020 (अंक: 170, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
निश्चय कर लें मन में साहस भरता है,
जो घबराता वह जीवन से डरता है।
बाधाएँ आती हैं तो आने दो,
सही कहा है जो जीता वह मरता है।
निश्चय कर लें मन में साहस भरता है॥
धाराएँ कितनी भी जब प्रतिकूल हों,
पथ पर पुष्प नहीं हों केवल शूल हों।
विषम समय में जो हिम्मत नहीं हारता,
वह उन्नति पथ पर आगे बढ़ता है।
निश्चय कर लें मन में साहस भरता है॥
नन्ही चींटी भी गिरती फिर चढ़ती है,
असफलता से कभी नहीं वह डरती है।
कर्मशील कभी भाग्य भरोसे नहीं रहता,
प्रतिपल अपने कर्मों को वह करता है।
उन्नति पथ पर वह आगे को बढ़ता है,
निश्चय कर ले मन में साहस भरता है॥
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