अच्छा ख़ासा हुआ करता था
शायरी | नज़्म अंकुर मिश्रा15 Oct 2023 (अंक: 239, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
अच्छा ख़ासा हुआ करता था
मैं भी कभी जिया करता था
इन आँखों में भी थे ख़्वाब ज़िंदगी के
सपने मैं भी देखा करता था
होने से पहले इश्क़ उस बेवफ़ा से
मोहब्बत मैं भी ख़ुद से किया करता था
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