सफ़र
शायरी | नज़्म अंकुर मिश्रा15 Oct 2023 (अंक: 239, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
सफ़र ये ख़त्म होने वाला नहीं है
क़ाफ़िला ये रुकने वाला नहीं है
किस बात का गिला करें किससे
यहाँ कोई सुनने वाला नहीं है
घर से लेकर मरघट कि इस दौड़ में साहेब
कोई साथ किसी के चलने वाला नहीं है
ख़ुद ही तय करना है सबको ये सफ़र अकेले
कोई साथ किसी के मरने वाला नहीं है
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