सौदा
शायरी | नज़्म अंकुर मिश्रा15 Aug 2023 (अंक: 235, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
किसी शजर कि किसी शाख़ पे
है लिखा नाम आज भी
उसका इस दिल कि किताब पे
वो छोड़ गया मोहब्बत अधूरी अपनी तो क्या
मैंने निभाया है हर वादा
वादे के हिसाब से
और मेरी इन आँखों से
ये बहते मोती तुम्हें बताएँगे
कि कितना महँगा सौदा किया है मैंने
ज़रा-सी उधारी के हिसाब से
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टिप्पणियाँ
Sachin Parwana 2023/08/08 04:14 PM
, बेहद खूबसूरत रचना। अन्कुर जी को ढेरों शुभकामनाएं
Ajay kishor 2023/08/08 03:36 PM
Gajjab hisab lagaya hai mohabbat ka
ललित मोहन जोशी 2023/08/07 10:33 PM
मैने निभाया हर वादा वाह बहुत खूब
डॉ नीता चौबीसा 2023/08/08 09:50 PM
बहुत अच्छी रचना।,