छीनकर मुँह से निवाला आपने
शायरी | ग़ज़ल तेजपाल सिंह ’तेज’1 Sep 2020 (अंक: 163, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
छीनकर मुँह से निवाला आपने
शर्म को घर से निकाला आपने
चंद चुपड़ी रोटियों के वास्ते,
स्वयं को ही बेच डाला आपने
शहर अपना जगमगाने के लिए
गाँव सारा फूँक डाला आपने
चाँद-तारों की तलब में बारहा,
अर्श पर पत्थर उछाला आपने
देखने को अपनी सौ-सौ सूरतें,
आइना तक तोड़ डाला आपने
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