वह सड़क
काव्य साहित्य | कविता पुष्पा मेहरा15 Dec 2020 (अंक: 171, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
वह मन्दिर और
मन्दिर के पास से
गुज़रती सड़क
जिस पर कभी
मेरे पग चिन्ह अंकित थे
बीते वर्षों बाद
उसके बदले हुए
डामरी लिबास में
दबी उसकी
सोंधी सुगंध लिए
धूल के कण
मुझे आज भी
सोना–चन्दन लगे
खट्टी–मीठी
कटारों से भरे वृक्षों की
यादों में खोई मैं
उसके बदलाव को
कौतूहल से निहारती रही
और वह मुझसे मेरी
पहचान पूछती लगी |
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
हाइबुन
कविता-मुक्तक
कविता
कविता - हाइकु
दोहे
कविता - क्षणिका
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं