आदत
कथा साहित्य | लघुकथा सुनील गज्जाणी22 Feb 2014
पुस्तक प्रेमी पति रात को जब भी बैडरूम में आता तो पत्नी से “हाँ-हू” कहने के अलावा चुपचाप किताब पढ़ने लग जाता। उसकी इस आदत पे पत्नी अक़्सर लड़ती मगर निरर्थक . . . पत्नी अपनी भावनाओं को कभी मन में दबा कर, तो कभी पलकों में दबा, घुट कर रह जाती। हालाँकि पति ख़ामोश तबीयत वाला व पुस्तक प्रेमी था।
कुछ दिनों पहले अचानक जाने कैसे बी.पी. हाई होने से पत्नी के दिमाग़ की नस फट गई और ब्रेन हेमरेज हो गया। ख़ूबसूरत पत्नी अपने साँवले सलोने पति को बेहद चाहती थी, उसकी हर पसन्द-नापसन्द आदत का ख़्याल रखती थी, मगर ख़ुद को जो आदत पसन्द नहीं होती उस पे अक़्सर चिक-चिक करने वाली, जीवन और मृत्यु के बीच अस्पताल में कोमा में पड़ी थी।
पति विरह में अब अपनी वो आदतें बदल चुका था घंटों उसके सिरहाने बैठ कर अब उसके कानों में अपने मन की बातें करने लगा, अपनी ही धुन में।
“शी . . . तेज़ मत बोलो, आई.सी.यू. के दूसरे पेशेन्ट डिस्टर्ब हो रहे हैं।”
पति गीली पलकें लिए अवाक्-सा नर्स को देखने लगा!
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