हादसा–07– एक नया दिल दहला देने वाला अनुभव!!
संस्मरण | स्मृति लेख कविता गुप्ता22 Oct 2014
बहुत दिनों से रिश्ते में दूर लेकिन दिल के बड़े क़रीब बुआ तथा उसके परिवार को मिलने की इच्छा हो रही थी। बस दैनिक दिनचर्या की व्यस्तता के कारण जाना नहीं हुआ। आख़िर एक दिन ठान ही ली चाहे कुछ भी हो आज मिल कर ही आना है। जैसे ही मैंने घंटी देकर घर में प्रवेश किया मुझे, जो महक प्रसूता के घर से आती है, आने लगी। मैं स्तब्ध कि मेरे कानों तक ख़बर नहीं और इधर एक नया मेहमान? अपनेपन से मैं सीधे वहाँ ही पहुँच गई जहाँ बुआ जी बैठी थीं। पहले तो वह आश्चर्यचकित रह गई आज अचानक कैसे?
फिर मैंने उत्सुकता ज़ाहिर करते पूछ ही लिया क्या कोई समाचार है? क्योंकि चिंतित-सी बहू, ढीला-सा मुँह लिए लेटी हुई थी। बुआ जी भी नामोशी से भरी अशांत ही लगीं।
मेरे दो बार यह पूछने कि “बुआ जी वास्तविकता क्या है? मुझे तो बताओ।” उनकी आँखें अश्रुओं से बह निकलीं। बहू से मुँह छिपाते कहने लगी, “कल ही नीलम का काम करवाया है, इस बार फिर बेटी थी।” इतना कहते ही फफक कर रो पड़ीं। मेरे शब्दों को ग्रहण लग गया। क्या बोलूँ, क्या न? ऐसे लगा शरीर और दिमाग़ पत्थर हो गया हो।
बुआ जी किसी बहाने वहाँ से उठ कर गईं, मैंने नीलम के पास जाकर सच्चाई पर मुहर लगवा ली। कहने लगी, “भाभी जी पहले ही दो थीं, तीसरी और क्या और क्यों चाहिए?”
धीरे-से डरते, बुदबुदाते कहने लगी, “पहले भी तो दो बार यह घिनौना अपराध कर चुकी हूँ।” मैंने फिर कहा, “क्या हुआ यदि तीन हो भी जातीं? व्यापार में ईश्वर की अपार कृपा है।”
तो सुबकते कहने लगी, “फिर उन दोनों ने क्या गुनाह किया था जिन्हें पहले ही दर से ठुकराया जा चुका हैl वैसे भी जेठ साहिब का कहना है ट्राई-ट्राई अगेन, ऊपर वाला एक दिन ज़रूर सुनेगा।”
मुझे उस समय कुछ भी नहीं सूझ रहा था। मैं क्या सोच कर आई थी क्या सुन, देख रही हूँ? इतने में बुआ जी आईं, बहू के पास ही रखी देसी घी में बनी ताक़त देने वाली चीज़ खाने का आग्रह करने लगीं। मेरा तन-मन तड़प उठा। सवाल पर सवाल उठने शुरू हो गए। लेकिन उत्तर कौन देगा? छोटे मुँह बड़ी बात! होंठ जैसे सिल गए हों। उस घर का पानी भी विष लगने लगा और मैं विचलित-सी वापस घर लौट आई।
विश्वास करो उस रात नींद मुझ से कोसों दूर थी और मैं नींद को रह-रह कर बैचैन हुए पुकार रही थी।
ऐसे समाज व सोच का क्या होगा? पराजित हुए दम्पत्ति ने फिर किसी परिचित का लड़का जन्मते ही गोद ले लिया था जो अब छटी कक्षा में है। दोनों बेटियाँ विवाहित हैं।
एक नया दिल दहला देने वाला अनुभव!!
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