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झूठ का मुस्कुराइए और हैप्पी न्यू ईयर मनाइए 

 

रघु काका चिलम गुड़गुड़ाते हुए बोल पड़े। निशानेबाज आज कोई खास दिन है का। जहाँ देखिए, वहीं हैप्पी न्यूईयर की टर्र-टर्र हो रही है। ई ससुरा न्यू ईयर का है? अरे भ‍इया! जैसे बरस के 365 दिन वैसे ही यह भी है। हैप्पी-हैप्पी करने का क्या मतलब है। 80 साल की उम्र से हम हैप्पी-हैप्पी देखते आ रहे हैं, लेकिन अभी तक हम खुद और लोगों को हैप्पी नहीं देखा। 

निशानेबाज! सिर्फ हैप्पी-हैप्पी करने से कोई हैप्पी थोड़ी हो जाएगा। हैप्पी और सेम टू यू कहने से हम फाइव स्टार की सैर थोड़ी कर सकते हैं। वहाँ के लजीज व्यंजन का स्वाद हम थोड़ी चख सकते हैं। हमने तो अस्सी साल की पूरी उमर इस झोंपड़ी और छप्पर बीता दिए लेकिन हैप्पी का सपना और वादा बेचने वाले फिर इस चौघट पर नहीं आए। वही बाजरे की रोटी और सरसों साग हमारे साथ है। ससुरा चिलम साल के 365 दिन हमरा साथ नहीं छोड़ती है। फिर दुनिया के लोग हैप्पी-हैप्पी क्यों बोलते हैं। सब झूठ है। कोई खुश नहीं है फिर भी खुश होने का ढोंग किया जा रहा है। 

निशानेबाज हम कल जहाँ थे वहीं आज भी अटके पड़े हैं। ‘कमद’ भर ना आगे बढ़े हैं ने पीछे हटे हैं। फिर हमको तो कुछ नया नहीं दिख रहा है। हमारी सारी फसल साँड़ चट कर रहे हैं। नीलगाय फैसलों को अपनी बपौती बना लिया है। महँगाई आसमान पर है। हमारे हुक्के का दाम भी बढ़ गया है। फिल्म वाले अपनी फिल्म में हुक्के की सीन डालकर इसकी शान और बढ़ा दिया है। गैस सिलेंडर के दाम रोज बढ़ रहे हैं। पेट्रोल-डीजल का भाव आसमान छू रह है। हम तो जहाँ थे वहीं रह गए। दुनिया कह रही है कि हम हैप्पी हैं। 

हमारे गाँव तक आने वाली सड़क आज भी गड्ढे में सो रहीं है। बिजली विभाग को बिल का पैसा चाहिए लेकिन हमें बिजली नहीं चाहिए। हम झोपड़ी में थे और झोपड़ी में ही रह गए। हमने तो आज तक कुछ बदलता देखा नहीं। अरे भाई! सिर्फ हैप्पी न्यू ईयर और हाथ मिलाने से दुनिया थोड़ी बदल जाएगी। फिर भी वह कहते हैं कि दुनिया बदल रही है। हम तो बदले ही नहीं फिर क्या जाने दुनिया बदल रही है। बदलने का स्वाद जब हमने चखा होता तो जानते बदलाव कैसा होता है। निशानेबाज जब झोपड़ी वाले बदलेंगे तभी दुनिया बदलेगी। सिर्फ हैप्पी-हैप्पी न्यू ईयर कहने से हम कुछ नहीं बदल सकते हैं। निशानेबाज! बस, बनावटी हँसी मुस्कुराइए और हैप्पी ईयर मनाईए!

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