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पल्टूराम फिर मार गए पल्टी

 

जीवन एक कला है और राजनीति एक बाज़ीगरी। अगर आपके पास कलाबाज़ी, जादूगारी, झूठगिरी, बेशर्मी, मक्कारी, धोखेबाज़ी, पल्टीबाज़ी का गुण नहीं है तो आप सफल राजनीतिज्ञ नहीं हैं। सच मानिए, सियासत में आप जीतनी बार धोखा देंगे उतने बड़े आप सच्चे पलटीमार कहलाएँगे। जितनी बार आप थूक कर चाटेंगे उतने महान और शीर्ष नेता होंगे। जितना झूठ बोलेंगे उतना आप सच के क़रीब माने जाएँगे। अगर चुनाव का मौसम क़रीब है और उस समय आप पलटी मारते हैं तो आप गंगोत्री स्नान से निकले चमत्कारी देव माने जाएँगे। आपके सारे गिले-शिकवे भुला दिए जाएँगे। आप दूध के धुले होंगे। आप जैसा राजनेता त्रिलोक में खोजने से भी नहीं मिलेगा। 

राजनीति में वैसे भी पल्टूराम नामक जीव सबसे पवित्र और पूजनीय माना जाता है। पल्टी मारना उसका धर्म-कर्म है। पल्टी मारना उनका जन्मसिद्ध अधिकार है। राजनीति में पल्टी मारने की कला को वह अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष से जोड़ते हैं। सत्ता हो या विपक्ष पल्टूराम को सभी गले लगाना चाहते हैं। उसकी बेशर्मी, पलटीमारी और बार-बार थूक कर चाटने की प्रवृत्ति को लोग सियासत की अद्भुत, अतुलनीय प्रकृति और विशेषण समझते हैं। राजनीति सबसे चोखा धंधा है। यहाँ कभी मंदी का दौर नहीं होता है। बस अपने फ़ायदे के लिए क़ायदे बिगाड़िए और तलवे चाटिए। यहाँ कोई दुसाध नहीं होता। क्योंकि सियासत की पवित्र गंगोत्री में जो एक बार डुबकी लगा लेता है वह इस कलयुग में देवतुल्य हो जाता है। वैसे भी आजकल देवता से अधिक राजनेता पूजे जाते हैं। 

राजनीति में सौ-सौ चूहे निगलने वाले लोगों को सत्ता इनाम में मिलती है। लोकतंत्र में अब ऐसे लोग ही सबसे पॉवरफ़ुल माने जाते हैं। अगर वे किसी विशेष जाति का नेतृत्व करते हैं जिससे सत्ता आसानी से हासिल होती है फिर तो आपका जलवा है। पल्टूराम का इतिहास रहा है वे नीतियों और सिद्धांतों के लिए कभी नहीं पल्टे। सियासत में उन्होंने आया राम और गया राम की भूमिका सिर्फ़ अपने स्वार्थ के लिए निभाई। राजनीति में उनका ऐसा कोई सगा नहीं होगा जिसको उन्होंने कभी ठगा न हो। इसलिए सत्ता और विपक्ष दोनों के लिए पल्टूराम पूजनीय हैं। वर्तमान राजनीति में पल्टूराम ने इतिहास रचा है। उनके जैसा राजनेता राजनीति में भूतो न भविष्यति होगा। हमेशा से उनका धर्म सिर्फ़ कुर्सी रहीं है। वह कुर्सी के लिए जीते और मरते आए हैं। आने वाला वक़्त पल्टूराम का है। राजनीति में पल्टीमार का विशेष गुण ईजाद करने वाले पल्टूराम पर शीघ्र ही एक पल्टू पुराण की रचना की जाएगी। राजनीति में आने वालों के लिए उस पुराण का अध्ययन अनिवार्य बनाया जाएगा। अगर इसी तरह उपकार करते रहे तो आनेवाले दिनों में उनके कार्य को देखते हुए उन्हें पल्टू रत्न से भी सम्मानित किया जाएगा। 

पल्टूराम ने इस बार मुख्यमंत्री की शपथ कुछ इस तरह ली है। “मैं पल्टूराम वल्द झूठाराम पद और गोपनीयता की शपथ लेता हूँ कि मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए ही जिऊँगा और उसी के लिए मरूँगा। मेरी न कोई नीति है और न सिद्धांत है। मेरा न कोई दोस्त है न दुश्मन है। मैं राजनीति का पक्का खिलाड़ी हूँ। हम सिर्फ़ कुर्सी के लिए जीते और कुर्सी के लिए मरते हैं। हमने जो मरने जीने की क़सम खाई थी वह हमारा झूठापन था। हमने किसी के साथ कभी धोखा नहीं किया। लोग बार-बार धोखा खाने के बाद मुझे समझ नहीं पाए। मुझे गले लगाने के लिए व्याकुल रहे। ऐसे में मेरी क्या ग़लती है? लोग मेरे क़सम और वायदे में उलझ गए मेरे पवित्र इरादे नहीं भाँप पाए। 

“मैं पल्टूराम सियासत का मैं सबसे बड़ा बाज़ीगर हूँ। सियासत में बड़े-बड़े बाज़ीगरों को मैं धूल चटाता आया हूँ। बड़े-बड़े सियासी बाज़ीगर मेरी सारी धोखेबाज़ी को भूल कर मेरी गोंद में मिमियांने को बेताब हैं। मैं पल्टूराम यह दावे और विश्वास के साथ कहता हूँ की हमने राजनीति अपने सिद्धांतों और शर्तो पर किया है। मैं अपने सियासी दोस्तों को बारबार धोखा दिया है, लेकिन हम क्या बताएँ मेरे दोस्त कितने बेवुक़ूफ़ हैं जो मेरी ठगी को मेरी मासूमियत समझते हैं। अब यह मेरी ग़लती है या मेरे सियासी दोस्तों की। दुनिया मुझे जादूगर कहे या बाज़ीगर लेकिन मेरी यारी तो सिर्फ़ कुर्सी से है।”

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