मेरी सालगिरह की शाम
शायरी | नज़्म अनुपमा रस्तोगी1 Jul 2019
सुहानी मस्तानी रूहानी शाम
साथ में मेरे दोस्त, मेरा मक़ाम,
हँसी खिलखिलाहटों की खनक
टकराते जामों की खनक,
लाइव मीठी ग़ज़लों का सुरूर
और तंदूरी कबाबों का ग़ुरूर
मेरी सालगिरह की शाम।
कभी न ख़त्म होने वाली बातों का दौर
ठहाकों मस्ती में डूबा हुआ शोर,
पसंदीदा गानों पर झूमते हुए दोस्त
चीखते चिल्लाते वन्स मोर, वन्स मोर,
मेरी सालगिरह की शाम।
शुक्रगुज़ार हूँ कि मेरा हमसफ़र
मेरे ख़ुशी पर करता है सब-कुछ नज़र,
मेरे अज़ीज़ दोस्त, मेरे यार
यहीं हैं मेरी दौलत, शोहरत और ऐतबार,
मेरी सालगिरह की शाम।
दिलकश समां और दोस्तों का साथ
केक काटते हुए मेरे नाज़ुक हाथ,
यही सोचते हैं बार बार
काश कोई ले, इस वक़्त को थाम,
कभी न बीते यह हसीं यादगार शाम
मेरी सालगिरह की शाम।
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टिप्पणियाँ
Sangeeta 2019/11/18 11:06 PM
I can visualize your bday evening through your poetry... beautiful ❤️
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Anil 2023/11/01 10:04 AM
You created such a pleasant picture of you birthday, in just few words. Love that you value the company of the friends. वक्त तो नहीं रुकता, लेकिन birthday ही तो है। अगले साल और भी ऊर्जा के साथ मनाया जाएगा। Bless you. KEEP WRITING.