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तेजेंद्र शर्मा जी का लिखित साक्षात्कार

समृद्ध साहित्यिक जीवन के यात्री तेजेंद्र शर्मा जी के विराट व्यक्तित्व के दर्शन तभी हो गये थे जब फ़ेसबुक मैसेंजर पर अपनी पुस्तक ‘वाचाल’ के लिए कुछ साहित्यकारों से लिखित साक्षात्कार का अनुरोध किया था। बड़े ही संकोच के साथ तेजेंद्र शर्मा जी के मैसेंजर पर भी लिखित साक्षात्कार का अनुरोध किया। मन में एक बार को विचार आया कि अनुरोध डिलीट कर दें। वह हमें लिखित साक्षात्कार क्यों देंगे? वह इतने बड़े साहित्यकार और हम साहित्य के क्षेत्र में अपना आकार गढ़ने का प्रयत्न करते हुए एक अनगढ़ पत्थर, लेकिन मन को दुत्कार कर ढिठाई से अनुरोध लिखा रहने दिया। कुछ-कुछ समय में देख लेते थे की seen लिखा आ रहा है या नहीं, कुछ समय पश्चात seen लिखा हुआ दिखाई दिया लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं। 

मन बोल उठा . . . देखा . . . ये तो होना ही था . . . और भी कुछ साहित्यकारों ने प्रतिक्रिया नहीं दी थी। लगभग एक सप्ताह बाद तेजेंद्र जी का उत्तर सहमति के साथ आया। हर्ष व आश्चर्य दोनों की अनुभूति एक साथ हो रही थी। इतना प्रभावशाली व्यक्तित्व लेकिन सरलता इतनी कि सामने वाले को तनिक भी छोटा होने का आभास ना हो। भारत के समयानुसार रात नौ बजे के आसपास लिखित साक्षात्कार आरंम्भ हुआ। हम सवाल टाइप करते उधर से तेजेंद्र जी अपना उत्तर टाइप करके भेज देते। इस आधा घंटे में भव्य साहित्यिक ऊर्जा लगातार मिलती रही। साक्षात्कार समाप्त होने के बाद हमने तेजेंद्र जी को धन्यवाद लिखा और अन्य साहित्यकारों को जो अनुरोध भेजे थे उन्हें चेक करने लगे। जिन्होंने सहमति नहीं दी थी, अब उसका दुःख हमें नहीं था। एक अंजुली गंगोत्री का जल ही पर्याप्त है मानसिक व्याधियों को समाप्त करने के लिए। 

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shaily 2023/02/20 10:26 PM

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