बख्त बुलंद (महिपत शाह)
आलेख | ऐतिहासिक संगीता राजपूत ‘श्यामा’1 Jul 2024 (अंक: 256, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
अपनी जड़ों से कट जाने का कष्ट सहता एक हिन्दू शासक जिसे परिस्थितियों ने इस्लाम पंथ में लाकर पटक दिया परन्तु हृदय से वह हिन्दुत्व संस्कारों को ना त्याग सका। एक महान योद्धा जिसे इतिहास बख्त बुलंद शाह ने नाम से पुकारता है।
गोड़ राजवंश के शासक महिपत शाह को औरंगज़ेब के द्वारा बलपूर्वक इस्लाम क़ुबूल करवाया गया और उनका नाम बदलकर बख्त बुलंद शाह रखा गया। बाद में महिपत शाह 1686 ईसवी में देवगढ़ (वर्तमान में वैनगंगा अंचल) के राजा बने। महिपत शाह हृदय से अपने धर्म को न त्याग सके। वह छत्रपति शिवाजी महाराज एवं छत्रसाल बुन्देला से प्रेरित हो, अपने राज्य देवगढ़ को शक्तिशाली बनने में जुट गए परन्तु इस बात औरंगज़ेब को अच्छी नहीं लगी और 1691 में महिपत शाह से देवगढ़ राज्य छीन लिया गया। 1696 में महिपत शाह ने स्वतंत्र सेना का गठन किया और औरंगज़ेब के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया परन्तु वह 1698 में औरंगज़ेब से पराजित हो गए। महिपत शाह सैनिक सहायता माँगने के लिए मालवा आये। औरंगज़ेब ने यहाँ अपनी चाल चली, महिपत शाह के सहकारी सादत खान अफ़ग़ान को आत्मसमर्पण करने के लिए विवश किया जिसके फलस्वरूप 3700 सैनिक टुकड़ियाँ मुग़लों की सेवा में चली गयीं।
बख्त बुलंद शाह 1698 को मालवा गया यह इतिहास में लिखित रूप में उपस्थित है। परन्तु1698-1699 तक बख्तबुलंद व छत्रसाल के मध्य क्या बातचीत हुई, यह किसी को नहींं पता।
1700 ईसवी में मालवा क्षेत्र से कुछ परमार राजपूत अपनी सैनिक टुकड़ियों के साथ बख्त बुलंद को सैनिक सहायता देने देवगढ़ आ पहुँचे। इस बात का प्रमाण “Bhandara District Gazetteer, P. 714” पुस्तक में मिलता है। “The founder of the Mahagaon Zamindari was A Ponwar Rajput who came from Malva and rose to the post of 2000 horse in the service of the Gond Raja Bakht Buland-1700 A.D.
1701 में अमरावती के निकट दरियापुर में महिपत शाह व औरंगज़ेब की सेना के मध्य एक निर्णायक युद्ध हुआ, इस युद्ध में बख्त बुलंद (महिपत शाह) ने विजय प्राप्त करने के पश्चात 1702 में नागपुर नगर की स्थापना की।
हिन्दुत्व के संस्कारों को जीने वाला महिपत शाह मरते समय इस्लाम के रिवाज़ से दफ़नाए गए। उनकी संतानें भी पुनः हिन्दू धर्म में वापसी ना कर सकीं।
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