विस्तृत आकाश की अभिव्यक्ति: आज की कविता
समीक्षा | पुस्तक समीक्षा डॉ. दीपक पाण्डेय1 Apr 2023 (अंक: 226, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
पुस्तक का नाम: समीक्षा के दायरे में आज की कविता
लेखक: विजय कुमार तिवारी
प्रकाशक: सर्वभाषा ट्रस्ट प्रकाशन, नई दिल्ली
साहित्य का समाज से अन्योन्याश्रित सम्बन्ध होता है। साहित्य में मानव जीवन से संबद्ध सभी क्षेत्र-परिक्षेत्र किसी न किसी रूप में अभिव्यक्ति पाते हैं और इस अभिव्यक्ति के लिए अनेक संवेदनात्मक विधाओं का सृजन हुआ है। इन्हीं विधाओं में काव्य भी एक है। भारतीय साहित्य में काव्य विषय पर गंभीर चिंतन परंपरा रही है। आचार्य विश्वनाथ ने कहा है कि, ‘वाक्यम् रसात्मकं काव्यम’ यानी रस की अनुभूति करा देने वाली वाणी काव्य है। कविता वह साधन है जिसके द्वारा सृष्टि के साथ मनुष्य के रागात्मक सम्बन्ध की रक्षा और निर्वाह होता है। समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाली कविता ही वास्तविक कविता होती है, यही उसका सौंदर्य है।
जब हम हिंदी साहित्य में काव्य-विधा के ऐतिहासिक परिदृश्य को देखते हैं तो पाते हैं कि हिंदी कविता सबसे समृद्ध विधा के रूप में हमारे सामने आती है। हिंदी कविता का कोष दिनोंदिन भरता जा रहा है इस अक्षय भंडार में अनेक काव्य-रचनाकारों की विशेष भूमिका रही है। हिंदी कविता आदिकालीन प्रवृत्तियों और परंपराओं से आगे बढ़ते हुए, भक्तिकाल की सगुण एवं निर्गुण धाराओं में प्रवाहित होते हुए, रीतिकालीन विशेषताओं को अपनाते हुए, आधुनिक काल के विविध प्रसंगों को आत्मसात करते हुए गत्यमान बनी हुई है। आज कविता के क्षेत्र में अनेक रचनाकार सृजनशील हैं और आज उनकी रचनाएँ हिंदी-संसार में अपनी पहचान बना रही हैं।
‘समीक्षा के दायरे में आज की कविता’ पुस्तक वर्तमान में हिंदी कविता की दिशा और दशा को सार्थक अभिव्यक्ति देने में सफल होती है क्योंकि श्री विजय कुमार तिवारी जी ने हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों पर गंभीरता से चिंतन-मनन किया है। इस तरह आज हिंदी कविता को समृद्ध कर रहे देश के विविध शहरों के रचनाकारों के काव्य-संग्रहों में अभिव्यक्त भावबोध को समीक्षात्मक रूप में पाठकों के समक्ष रखने का स्तुत्य कार्य किया है। स्तुत्य इसलिए क्योंकि जिन रचनाकारों की काव्य पुस्तकों को इसमें शामिल किया है वे वर्तमान समय में अपनी रचनाधर्मिता से हिंदी-संसार में विशेष मुक़ाम बनाने के लिए पाठकों के सामने आ रहे हैं। इस पुस्तक में लेखक ने जिन कवियों की रचनाओं को समीक्षा की कसौटी पर कसा है उनमें श्रीप्रकाश मिश्र, विनोददास, पंकज त्रिवेदी, भावना भट्ट, प्रेम रंजन अनिमेष, पारमिता षडंगी, कुमार बिंदु, भानु प्रकाश रघुवंशी, हर गोविन्द पूरी, अमित कुमार मल्ल, डॉ प्रतिभा सिंह, डॉ विनय कुमार महारना, कुमार अनिल, कश्मीरा सिंह, कर्नल वशिष्ट, श्री केशव मोहन पाण्डेय, डॉ उषा किरण, एम के मधु और मॉरीशस की साहित्यकार कल्पना लालजी शामिल हैं। ‘समीक्षा के दायरे में आज की कविता’ पुस्तक में शामिल सभी सृजनशील रचनाकारों के सम्बन्ध में श्री विजय कुमार तिवारी जी ने स्वीकार किया है कि ‘जिन काव्य संग्रहों को पढ़ने, समझाने और विवेचनात्मक चिंतन करने का सुखद संयोग बना उनके रचनाकार/कवि वरिष्ठ भी हैं और युवा भी। सुखद यह है कि प्राय: सभी की कविताओं में भाव, भावना के साथ हमारे ऐतिहासिक, प्राचीन सभ्यता-संस्कृति के तत्त्व मिलते हैं।’
आज की कविताओं का स्वर जन-पक्षधर है और समाज में व्यक्ति के जीवन को उसकी सम्पूर्णता में स्वीकार करने और उसके जीवन की समस्याओं को गहरे भावबोध के साथ स्पष्ट अभिव्यक्त करना उनकी प्रमुख पहचान रही है। अपने समय एवं समाज से संघर्ष करना और फिर उस पर प्रश्न खड़े करना आज की कविता के जन-जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को अभिव्यंजित करता है। इस काल की कविताओं का भावबोध समाज से नकारात्मकता के बादलों को हटाकर सकारात्मकता का संचार करने का प्रयास है।
समय के साथ स्थितियाँ-परिस्थितियाँ परिवर्तित होती हैं, ज्ञान-विज्ञान के नए-नए चमत्कार मानव-समाज को जहाँ अचंभित करते हैं वहीं उन्हें अपने से गहरे जुड़ने को बाध्य कर देते हैं। मानव-जीवन नित नए प्रयोगों-अनुप्रयोगों से एक-दो-तीन होता है। इस पुस्तक में संकलित काव्य संग्रहों की समीक्षाओं से यह बात स्पष्ट होती है कि कवि-ह्रदय जीवन के सभी घटाटोपों से अनुभवों को ग्रहण कर अपनी कल्पनाशीलता, अभिव्यक्ति कौशल से उन अनुभवों को समाज को सौंपता है। कुछ समय पूर्व कोरोना की जो वैश्विक विभीषिका की परिस्थितियाँ बनीं, प्राकृतिक विपदाओं की स्थितियाँ हों, विज्ञान के अविष्कारों का समाज पर प्रभाव हो, भूमंडलीकरण, वैश्वीकरण हो आदि सभी विषयों पर आज के कवियों ने अपनी लेखनी चलाई है और समाज की संवेदनाओं को अभिव्यक्ति दी है। समाज में परिवर्तित हो रहे मानव मूल्यों के प्रति कवियों का विशेष ध्यान जाता है और अपने अभिव्यक्ति कौशल से समाज के उत्थान की प्रेरणा को वाणी दे रहे हैं और ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ की भावना को पोषित करने का उपक्रम कर रहे हैं। इस पुस्तक में केशव मोहन पाण्डेय के कविता संग्रह ‘सपने रोज़ बुनता हूँ’ पर विस्तृत समीक्षात्मक लेख भी संकलित है और लेखक ने कविता संग्रह की भूमिका से वरिष्ठ साहित्यकार श्री अशोक लव जी कविता के बारे में उनके विचारों को उद्धृत किया है जिससे सभी सहमत भी होंगे कि, “वास्तव में कविता संवेदनशील हृदय की भावनाओं की अभिव्यक्ति है। हृदय के सूक्ष्मतम भावों की, कोमल अनुभूतियों की, वेदनाओं की और आनंद आदि की संवेदनात्मक अभिव्यक्ति कविता में ही होती है। अलंकृत भाषा, कोमलकांत पदावली, प्रतीक, बिंब, छन्द आदि के कारण कविता का सहृदय पाठक पर अन्य विधाओं की अपेक्षा अधिक प्रभाव पड़ता है। कविता का रसास्वादन अद्भुत होता है। आदि कवि बाल्मीकि से लेकर समकालीन कवियों तक की कविता-यात्रा अद्भुत है।”
श्री विजय कुमार तिवारी जी ने बहुत ही गंभीरता से उपलब्ध कविता-संग्रहों का अध्ययन किया है और विस्तार से उनपर गहन चिंतन-मनन किया है। उन्होंने उन पुस्तकों पर अपने विचारों को पूर्ण स्वतंत्रता के साथ निष्पक्ष भाव से अपने समीक्षात्मक आलेखों में समाहित भी किया है। सभी लेखों में तिवारी जी का भाषा-सौष्ठव अद्भुत है और नवलेखकों का मार्ग प्रशस्त करने का सामर्थ्य से परिपूर्ण है। मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे तिवारी जी के धीर-गंभीर, आध्यात्मिक व्यक्तित्व से परिचित होने का अवसर मिला। साहित्य के प्रति तिवारी जी का यह समर्पण है कि सेवानिवृत्ति काल में वे निरंतर नई रचनाओं को सिर्फ़ पढ़ ही नहीं रहे हैं वरन् उन रचनाओं पर शोधपरक टिप्पणियाँ भी हिंदी-जगत को उपलब्ध करा रहे हैं। जिस दक्षता के साथ तिवारी जी समीक्षा के क्षेत्र अपने लेखन को समर्पित कर रहे हैं, निश्चित ही भविष्य में वे प्रतिष्ठित समीक्षक के रूप में पहचाने जायेंगे। आज देश-विदेश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में आपकी समीक्षाएँ प्रकाशित हो रही हैं और सराही जा रही हैं। परिणामत: लेखक, प्रकाशक, संपादक आपसे लेखकीय सहयोग की अपेक्षा रखने लगे हैं। मैं माँ सरस्वती से प्रार्थना है कि वे श्री विजय तिवारी जी पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखें और उन्हें लेखन के लिए नई ऊर्जा प्रदान करती रहें।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि ‘समीक्षा के दायरे में आज की कविता’ पुस्तक हिंदी कविता के क्षेत्र में उपयोगी साबित होगी और नए रचनाकारों को प्रतिस्थापित करने में महत्त्वपूर्ण साबित होगी।
समीक्षक: डॉ. दीपक पाण्डेय
सहायक निदेशक
केंद्रीय हिंदी निदेशालय
शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार
नई दिल्ली 110066
ईमेल – dkp410@gmail।com
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