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विभांशु दिव्याल



3 फरवरी 1946 को एत्मादपुर, आगरा में जन्म। प्रारंभिक शिक्षा फिरोजाबाद में और फिर आगरा कॉलेज, आगरा से अंग्रेजी में एम.ए.। आगरा के ही एक कॉलेज में अंग्रेज़ी में अध्यापन। सामाजिक सक्रियता के तहत मध्य प्रदेश में कई सौ किलोमीटर पद-यात्रा।

सन् 1986 से पत्रकारिता में सक्रिय। ‘हंस’, ‘सांचा’, ‘संडे मेल’ आदि के संपादकीय विभागों में रहने के अलावा दूरदर्शन समाचार प्रभाग में कार्य। राष्ट्रीय सहारा अख़बार के वैचारिक परिशिष्ट ‘हस्तक्षेप’ के प्रवर्तक प्रभारी व स्थानीय संपादक।

‘गाथा लंपटतंत्र की’, ‘मन देहरी न लांघ’, ‘कोई कनुजा क्या करे’, ‘पिंजरे परिंदे’, ‘नेहा’ (उपन्यास), ‘तंत्र और अन्य कहानियां’ (कहानी संग्रह), ‘अब मत आना किन्नी’, ‘ब्लू फिल्म’, ‘प्रतिनिधि प्रेम कहानियां’ (कहानी संग्रह), ‘भैंसिस्तान’, ‘अब और नहीं’, ‘गंदगी’ (नाटक) तथा ग़ज़लों के अलावा लेख संग्रह ‘भारतीय समाज और हिंदू धर्म'। सुप्रसिद्ध अमेरिकी-ब्रिटिश शिक्षाविद लेखिका पाओला अलमान की प्रसिद्ध पुस्तक ‘क्रिटिकल एजुकेशन अगेंस्ट ग्लोबल कैपिटलिज़्म’ का ‘भूमंडलीय पूंजीवाद के विरुद्ध आलोचनात्मक शिक्षा’ नाम से हिंदी अनुवाद।

सामाजिक-राजनीतिक विषयों पर, विशेषकर धार्मिक विकृतियों पर, हिंदी-अंग्रेज़ी में लगातार लेखन। संप्रति ‘बतंगड़ बेतुक’ नाम से ‘राष्ट्रीय सहारा’ में साप्ताहिक व्यंग्य स्तंभ।

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