अपने अपने दायित्व
काव्य साहित्य | कविता डॉ. हरि जोशी8 Jan 2019
सब अपने अपने दायित्व निभाने पर तुले हैं,
क ने कई को जान से मारने का दायित्व
अपने बलिष्ठ कंधों पर ले रखा है,
वह अपनी तरह से जानता है दुनिया के सत्य को,
जो धरती पर आया है उसे एक न एक दिन जाना होगा,
और जब तक जीवित है, व्यर्थ ही कष्ट उठाना होगा,
क्यों न आज ही दुखों से मुक्त कर दिया जाए।
ख भी कहाँ पीछे हट रहा है अपनी ज़िम्मेदारी से,
उसमें भी सारी दुनिया को लूट लेने की प्रतिभा है,
धरती आसमान एक कर देगा अपेक्षित परिणाम पाने में,
वह भी तो जगत का शाश्वत सत्य पहिचानता है,
कोई भी आज तक ले जा सका है,
दुनिया में जोड़ी हुई संपत्ति,
इसलिए आज ही उसे भगवान के निकट जाने योग्य बना दो,
लगता है दोनों ही समर्पित प्रभु भक्त हैं,
मोक्ष दिलाने के लिए कितने प्रतिबद्ध
आओ इन्हें प्रणाम करें ।
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