कुछ अनकही बातें
कविता | सुएता दत्त चौधरीकुछ पल होते हैं तन्हाई के
मायूस मन फड़फड़ाता है
भीड़ में
कोई चिठ्ठी है बंद बोतल में
जिसे कोई नहीं मिला
बीच सागर में
ऐ मन! ज़रा सुनो
ज़िन्दगी एक स्वर्ण किताब है
ज़रा पढ़ कर तो देखो
कुछ दर्द हलके होंगे
मीठे पलों को चख कर तो देखो
दिल की हर धड़कन इक तार है
उसे मीठे मुस्कान से सिल कर तो देखो
कभी आँखों के नमी को
नीले बूंदों से मिला कर देखो
हर बार एक नई कहानी मिलेगी
कभी सागर की लहरों से
मिल कर तो देखो
इस विशेषांक में
बात-चीत
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