काम ख़त्म कर लूँ सभी
शायरी | नज़्म सपना मांगलिक28 Jan 2015
काम ख़त्म कर लूँ सभी,
मैं शाम से पहले
जाने मरहूम लग जाए कब,
मेरे नाम से पहले
बिन सोचे बिन समझे करते हो
एक दिन पछताओगे
अंजाम भी सोचकर रखो तुम,
अपने काम से पहले
अभी तो शुरू हुई ज़िन्दगी
जाने का वक़्त भी आ गया
माँग लूँ दो चार दिन और,
मैं राम से पहले
बच्चे हैं छोटे मेरे करने हैं
अधूरे काम भी पूरे
जुटा लूँ लकड़ियाँ थोड़ी,
क्रिया कर्म के इंतज़ाम से पहले
क़र्ज़ चढ़ा है तुझपे लोगों की
मोहब्बत का ‘सपना’
चली जाऊँगी शुक्रिया तो कह लूँ
मैं आवाम से पहले
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