नहीं सीने में दिल मेरा
शायरी | नज़्म सपना मांगलिक28 Jan 2015
नहीं सीने में दिल मेरा
यह किसकी शरारत है
काम नहीं किसी और का,
ख़ुद दिल की ख़िलाफ़त है
कह रहे हैं हमसे वो दिल के
बदले ले लो दिल
मोहब्बत अब तो लोगो,
हुई जैसे तिजारत है
सात परतों के भीतर से
भी कर ले गया पार कोई
या अल्लाह, तेरी क़ायनात की,
ये कैसी हिफ़ाज़त है
गर तू है ख़ुदा नाम का तो
हम भी हैं बन्दे तेरे
दिखावे का ही सज्दा अपना,
दिखावे की ही इबादत है
सँभाल के रखना दिल
अमानत है यह ‘सपना’ की
किया जो इधर उधर,
तो समझो बग़ावत है
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