चाचा जी का बन्दर
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’23 Feb 2019
चाचा जी ने पाला बन्दर।
करता है वह खों-खों दिन भर।
जहाँ कहीं शीशा पा जाता
दाँत दिखाता मुँह बिचकाता
आँगन के पेड़ों पर चढ़ता।
फल तोड़ता ऊधम मचाता।
 
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