ज़माने से रिश्ता बनाकर तो देखो
शायरी | ग़ज़ल देवी नागरानी23 May 2017
ज़माने से रिश्ता बनाकर तो देखो
समझ बूझ से तुम निभाकर तो देखो
यह पुल प्यार का एक, नफ़रत का दूजा
ये अन्तर दिलों से मिटाकर तो देखो
गिराते हो अपनी नज़र से जिन्हें तुम
उन्हें पलकों पर भी बिठाकर तो देखो
उठाना है आसान औरों पे ऊँगली
कभी ख़ुद पे ऊँगली उठाकर तो देखो
न जाने क्या खोकर है पाते यहाँ सब
मिलावट से ख़ुद को बचाकर तो देखो
न घबराओ देवी ग़मों से तुम इतना
ज़रा इनसे दामन सजाकर तो देखो
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- ज़माने से रिश्ता बनाकर तो देखो
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