अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

हरियाली और पानी


समीक्ष्य पुस्तक : हरियाली और पानी (बालकथा)
लेखक : रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
चित्रकार : अरूप गुप्ता
पहला संस्करण : 2017
पहली आवृत्ति : 2018
पृष्ठ: 20 (आवरण सहित)
मूल्य : 35 रुपये
प्रकाशक : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत,नेहरू भवन,
5 इन्स्टीट्यूशनल एरिया, फेज़-2, वसन्त कुंज, नई दिल्ली-110070
    

रामेश्वर काम्बोज ’हिमांशु’ एक वरिष्ठ साहित्यकार हैं, जिन्होंने व्यंग्य, लघुकथा, कविता, समीक्षा आदि विभिन्न  विधाओं में लेखन के साथ-साथ, बच्चों के लिए भी भरपूर मात्रा में लेखन किया है। हाल ही में बच्चों के लिए लिखी उनकी पुस्तक ’हरियाली और पानी’ पढ़ने का सुअवसर मिला। इस पुस्तक की 16,000 से भी अधिक प्रतियों का प्रकाशन राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत द्वारा हुआ है।

वर्तमान में बढ़ते प्रदूषण से संसार भर को विषमताओं का सामना करना पड़ रहा है। जल को जीवन का पर्याय माना जाता है। और आधुनिक समय में जल एक चिंता का विषय बना हुआ है। जल है तो जीवन है। कहानी का महत्त्व उसके छोटे या बड़े आकार से नहीं होता, महत्त्वपूर्ण होता है उसका पाठक के हृदय तक अपना संदेश पहुँचाना। इस छोटी-सी बाल कथा में कथाकार ने आम, नीम, पीपल, बरगद और पानी की बात की है। सब एक-दूसरे की ओट में सुखी जीवन बिता रहे थे। एक दिन हरियाली ने झल्ला कर पानी को जाने को कहा, तो वह नाराज़ हो कर चला गया। अब जल के बिना प्यास के मारे सभी वृक्षों के प्राण सूखने लगे। हरियाली मरने लगी और सारे पत्ते धीरे-धीरे पीले हो कर गिर गए। उधर पानी भी बड़ा उदास था। सूर्य के ताप से उसका बदन जलता तो कभी धूल मिट्टी आँखों में पड़ती। आख़िरकार सूखे पत्तों ने पानी को ढूँढ लिया। सूखे पत्तों की हालत देखकर पानी को बहुत दु:ख हुआ और उसने पुन: पेड़ों को नवजीवन देने का निश्चय किया। पानी को पाकर फिर से हरियाली मुसका उठी और पानी को भी सुख से रहने का स्थान मिल गया।

कहानियों का जीवन में अपना एक विशेष स्थान होता है। यूँ तो प्रत्येक वर्ग इनसे प्रभावित होता है लेकिन बालमन पर कहानियाँ अनूठा असर छोड़ती हैं। बचपन में सुनी कहानियों की स्मृतियाँ सदैव हृदय पटल पर अंकित रहती हैं। कहानियाँ बच्चों में सद्गगुण, अच्छे विचार और संस्कार रोपने का एक सशक्त माध्यम हैं। बच्चों के व्यक्तित्व के विकास और सृजनात्मक उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए लेखक ने बड़े रोचक ढ़ंग से हरियाली और पानी के संबंध तथा एक दूसरे की उपयोगिता के ज्ञान के साथ-साथ कई वृक्षों के नामों से भी बच्चों को परिचित करवाया। और बड़ी कलात्मकतापूर्ण बालमन पर अमूल्य पानी के महत्त्व की गहरी छाप छोड़ी। वृक्षों तथा पानी के संवादों का मानवीकरण और  प्रसिद्ध चित्रकार श्री अरूप गुप्ता के  रंग-बिरंगे ख़ूबसूरत आकर्षक चित्रों ने कहानी को और भी अधिक सजीव कर दिया। चित्रों के द्वारा कहानी को समझना बच्चों के लिए सरल ही नहीं, बल्कि बहुत रोचक हो जाता है।

आकर्षक आवरण और सुन्दर चित्र से सजी, बिना उपदेश दिए, सुंदर संदेश देती हुई बहुत शिक्षाप्रद कहानी। बाल मन को पर्यावरण के प्रति सजग करती तथा प्रेम, मैत्री और एक-दूजे के प्रति आदर का पाठ पढ़ाती हुई यह कहानी बताती है कि एक-दूजे के हित में ही अपना हित निहित होता है।

कृष्णा वर्मा
रिचमंडहिल, ओंटेरियो
कैनेडा
 

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता - हाइकु

लघुकथा

कविता-सेदोका

कविता

सिनेमा चर्चा

कहानी

पुस्तक समीक्षा

पुस्तक चर्चा

कविता-माहिया

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं

लेखक की पुस्तकें

  1. अम्बर बाँचे पाती