प्रेम दिवस
काव्य साहित्य | कविता आलोक कौशिक1 Mar 2019
चक्षुओं में मदिरा सी मदहोशी
मुख पर कुसुम सी कोमलता
तरुणाई जैसे उफनती तरंगिणी
उर में मिलन की व्याकुलता
जवां जिस्म की भीनी ख़ुशबू
कमरे का एकांत वातावरण
प्रेम-पुलक होने लगा अंगों में
जब हुआ परस्पर प्रेमालिंगन
डूब गया तन प्रेम-पयोधि में
तीव्र हो उठा हृदय स्पंदन
अंकित है स्मृति पटल पर
प्रेम दिवस पर प्रथम मिलन
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