प्यारे बच्चे, जागो
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता त्रिलोक सिंह ठकुरेला1 Jun 2020 (अंक: 157, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
कुकड़ू कुकड़ू कहता मुर्गा
प्यारे बच्चे जागो ।
ठीक नहीं है ज़्यादा सोना
झटपट आलस त्यागो॥
सुन्दर होता समय सुबह का
सुख का झरना झरता।
नव उत्साह जगाता मन में
नयी ऊर्जा भरता॥
सुखकर हवा, सुबह की लाली,
खिलते फूल मनोहर।
मस्ती करते भ्रमर, तितलियाँ,
लगते कितने सुन्दर॥
पक्षी गाते, ख़ुशी मनाते,
उड़ते नील गगन में।
जल्दी जगने से आ जाते
अनगिन सुख जीवन में॥
तन मन स्वस्थ सबल हो जाते
सभी काम बन जाते।
जल्दी जगकर ख़ुशियाँ आतीं,
उन्नति के दिन आते॥
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