बारिश
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता त्रिलोक सिंह ठकुरेला15 Aug 2019
आसमान में बादल छाए।
सूरज दादा नजर न आए॥
छम छम छम छम बरसा पानी।
राहगीर ने छतरी तानी॥
फैल गई सुंदर हरियाली।
हवा बही सुख देने वाली॥
पत्ते, फूल, पेड़ मुसकाये।
चिड़ियों ने मिल गाने गाये॥
झील भरी, नदिया लहराई।
चाचा जी ने नाव चलाई॥
खेल खेल बच्चे मुसकाये।
ऐसी बारिश फिर फिर आये॥
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Rajkumar jain rajan 2019/08/31 03:06 PM
त्रिलोक सिंह। ठकुरेला की। बरसात पर एक सुंदर बाल कविता। हार्दिक बधाई। ●राज कुमार जैन राजन, आकोला राजस्थान