बिजली क्यूँ चमके, बादल क्यूँ गरजें?
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य कविता अशोक परुथी 'मतवाला'19 Feb 2015
मेरा एक दोस्त,
अपनी बीवी को दफ़नाकर,
घर लौट रहा था,
कि रास्ते में
अचानक बिजली चमकने लगी,
बादल गरजने लगे,
और
ज़ोर-शोर से बारिश लगी होने!
कारण,
जानने की मेरी उत्सुकता,
मेरे दोस्त ने,
कुछ इस तरह शांत की -
“यह पानी क्यूँ बरसे,
यह बादल क्यूँ गरजें?
यह तो मालूम नहीं, लेकिन
लगता है वह ठीक-ठाक पहुँच गयी हैं!”
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