समस्या का समाधान
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य कविता अशोक परुथी 'मतवाला'18 Jul 2014
देखो मेरे बेटा, मेरे अज़ीज़!
न जाने आज सुबह
किसका मुँह देखकर उठा था मैं,
कि सारा दिन खाना नहीं हुआ नसीब!
यह सुनकर तत्काल बोला मेरा बेटा -
"चाहते हो 'गर' अपनी समस्या का समाधान
तो मेरी मानो और अपने 'बेडरूम' से,
दीवार पर लगे आईने को, तुरंत दो हटा!"
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