काश, मैं भी एक आम आदमी होता
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी अशोक परुथी 'मतवाला'15 Oct 2014
आम आदमी के नेता डॉ. कुमार विश्वास करोड़ों की सामी हैं फिर क्या यह बकवाद नहीं है जब वे कहते हैं - "मैं एक आम आदमी हूँ !" आम आदमी तो वह होता है जो आमों के मौसम में रेहड़ी वाले से दो सेर आम अपने घर के लिए न खरीद सके और तांगे में सफर करे। आम आदमी तो वह होता है जो बस या रेलगाड़ी में सफर करे, कभी-कभार अपनी जेब कटने-कटाने का ज़िकर करे..! आम आदमी तो वह होता है जो गर्मियों में गर्मी और सर्दियों में ठंड से नज़ला-ज़ुकाम और अपनी नाक बहने के कारण हाय-तौबा करे। आम आदमी तो वह होता है जो इस बात को लेकर हल्ला करे कि हर महीने बिजली और पानी का तो बिल आता है लेकिन बिजली और पानी नहीं आता! आम आदमी तो वह होता है जो एक ‘सालम’ (पूरा) तांगा लेकर रेलवे स्टेशन तक न जा सके! लेकिन, अपने कुमार साहिब तो जब चाहे मुँह उठायेँ और हवाई जहाज़ में अमेरिका, कनाडा या किसी अन्य देश का सैर-सपाटा कर आयें। जब चाहें वे पाँच सितारा होटलों में ठहरें और मौज-मस्ती कर आयें!
हाल ही में अपने अमेरिका और कनेडा के दौरे से कुमार साहिब ने हज़ारों डालर बटौर कर अपने बैंक-खातों में डाले हैं। भारत में भी वे लाखों के बंगले में रहते हैं। आगे पीछे उनके नौकर-चाकर रहते हैं - फिर वे आम आदमी कैसे हुये?
हाँ, अगर आप यह दलील दें कि आजकल हर आम आदमी के पास दो-तीन करोड़ तो होता ही है या फिर यूँ कहें की दो-तीन करोड़ आजकल होता ही क्या है तो फिर मान लेते हैं कि कुमार साहिब एक आम आदमी हैं? क्या आपको यह दलील जायज़ लगती है? मेरे हल्क से तो यह बात नहीं उतर रही कि वह आदमी जिसके पास करोड़ों की जायदाद हो, एक आम आदमी है या हो सकता है!
कुमार विश्वास के रहने के इंतज़ाम और ठाठ-बाट को देखें तो उनकी बात पर बिलकुल भी विश्वास नहीं होता, उनकी बात बिलकुल बकवाद लगती है कि वह एक आम आदमी हैं। यह तो अब आयकर विभाग वाले ही इसकी जांच-पड़ताल कर के जनता को बता सकते हैं कि वे एक आम आदमी हैं या नहीं!
मेरी जानकारी के मुताबिक अमेठी से, लोक सभा चुनावो से पहले श्री विश्वास ने अपना नामांकन पत्र भरने के समय जो अपने धन की घोषणा की थी उसके मुताबिक उस समय वे लगभग चार करोड़ के मालिक थे। उस वक़्त की कीमत के अनुसार उनके दो निवासों - एक ऋषिकेश में और एक वसुंदरा, गाजियाबाद में –की कीमत मात्र 1.29 करोड़ रुपये थी। चुनाव आयोग के पास भरे गये कागज़ों के मुताबिक उनके सिर पर 6.73 लाख रुपये का ऋण और उनके हाथ में 1.75 लाख रुपए और उनकी धर्म पत्नी श्रीमति मंजु शर्मा के पास 1.1 लाख रूपये की नकदी दिखाई गई थी। इसके इलावा कुछेक लाख जो इधर-उधर हैं मैंने उसका ज़िकर नहीं किया। कहीं आप अपना कुतर्क देने लगें कि सब कुछ मिलाकर चार करोड़ नहीं बनते!
इनके मुक़ाबले भाजपा के नेता श्री मोदी जी, जो अब हमारे प्रधान मंत्री हैं, के पास गुजरात के वदोदरा चुनाव हल्के से लोकसभा के लिए चुनाव लड़ने से पहले 1.51 करोड़ रुपये की संपति थी। चुनाव आयोग के पास भरे गये कागज़ों के मुताबिक मोदी जी के पास सोने की चार मुन्दरियाँ (छापें) थी, जिनकी कीमत 1.35 लाख रुपये, गांधीनगर, गुजरात में उनके निवास की कीमत लगभग एक करोड़ लगाई गई थी। उस वक़्त उनके पास 29700 रुपये की नकदी थी और बाकी की धन राशि बैंक में जमा–खातों में थी। मज़ेदार बात यह है कि मोदी जी के पास उस वक़्त अपना कोई वाहन नहीं था। मोदी जी के पास क्या है और क्या नहीं इससे हमें कोई एतराज़ नहीं है क्योंकि वह एक आम आदमी नहीं, उनका संबंध तो भाजपा से है! हमारा एतराज़ तो उन लोगों के प्रति है जो करोड़पति हैं और आम आदमी होने का दावा करते हैं!
अगर मैं यह कहूँ कि मैं एक आम आदमी हूँ तो बात जायज़ है क्योंकि पिछले 25 साल से “मतवाला” (मैं) अमेरिका में अपनी ऐसी-तैसी करा रहा है, लेकिन आज अगर वह खुद को भी बाज़ार में बेच दे तो भी उसके पास भारत में एक प्लाट लेने के लिए पूरी राशि नहीं निकलती, बंगला बनाने की तो बात दूर रही!
अगर भारत में यही एक आम आदमी की परिभाषा और पहचान है तो ईश्वर मुझे भी जल्द से जल्द भारत वापिस आने का सौभाग्य दें और मुझे एक -दो बंगले, जेब में लाखों की नकदी, 50-100 एकड़ ज़मीन का स्वामी बनाकर अपने आशीर्वाद से नवाजें।
भाईयो, मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं किसी से कभी कोई गिला-शिकवा नहीं करूँगा, गिली-सूखी खाकर अपना बाकी का जीवन इन "आम आदमियों" की तरह, अपने बचपन और जवानी के शहर चंडीगढ़ में गुज़ार दूँगा। कृपया मेरे लिए भी आप एक छोटे से बंगले, दो-चार करोड़ रोकड़े और एक विदेशी गाड़ी (ड्राईवर साथ में हो तो सोने पर सुहागा) की कामना/प्रार्थना करें! आपके मुँह में घी-शक्कर! इधर आपकी मनोकामना पूरी हुई नहीं कि उधर अगले दिन मैं स्वदेश लौटा नहीं!
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