मार्गदर्शक कबीर
काव्य साहित्य | कविता डॉ. रानू मुखर्जी15 Jul 2021 (अंक: 185, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
एक ही राह अपनाने को
ज़माने भर के दर्द को मिटाने को
आया एक फ़क़ीर।
जिसके जीवन दर्शन ने
जग को सीखाया प्रेम से रहना
और जग को बनाना एक
धर्मनिरपेक्ष नीड़।
मोह माया से न रखना हेत
कथनी - करनी में छोड़ भेद
झीनी-झीनी बीनी चदरिया
ओढ़ कबीरा आया बताने यह भेद।
खड़ा कबीरा बाज़ार में
डफली बजाए और गाए
सबका मालिक एक है कबीरा
दिन भर जागे रात भर गाए।
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