एक थका हुआ सच
अमर गीत
जिस धरती की सौगंध खाकर
तुमने प्यार निभाने के वादे किये थे
उस धरती को हमारे लिये क़ब्र बनाया गया है
देश के सारे फूल तोड़कर
बारूद बोया गया है
ख़ुशबू ‘टार्चर’ कैम्प’ में आख़िरी साँसें ले रही है
जिन गलियों में तेरा हाथ थामे
अमन के ताल पर मैंने सदियों से रक्स किया था
वहीं मौत का सौदागर पंख फैला रहा है
गरबी की सलवार, सिलवटों वाला चोला
और सुर्ख लाल दुपट्टा
मैंने संदूक में छिपा रखे हैं
अपनी पहचान को निगलकर, गटक गई हूँ
रास्ते पर चलते
आसमान पर चौदवीं के चाँद को देखकर
मैं तुम्हें भिटाई का बैत सुना नहीं सकती
कलाशंकोफ के धमाकों से मेरा बच्चा
चौंक कर नींद से जाग उठता है
मैं उसे लोरी सुनाने के लिये लब खोलती हूँ तो
घर के सदस्य होंठों पर उँगली रखकर
ख़ामोश रहने के लिये कहते हैं
अख़बारें, डायनों के नाखून बनकर
रोज़ मेरा मांस नोच रही हैं
और सियासतदानों के बयान
रटे हुए तोते समान लगते हैं
मैं खौफ़ की दलदल में हाथ पैर मारना नहीं चाहती
ऐ मेरे देश के सृजनहार
ऐसा कोई अमर गीत लिख
कि जबर की सभी ज़ंजीरें तोड़कर
मैं छम छम छम छम नाचने लगूँ!
पुस्तक की विषय सूची
- प्रस्तावना
- कविता चीख़ तो सकती है
- आईने के सामने एक थका हुआ सच
- अपनी बेटी के नाम
- सफ़र
- ख़ामोशी का शोर
- एक पल का मातम
- सच की तलाश में
- लम्हे की परवाज़
- एक थका हुआ सच
- सपने से सच तक
- तन्हाई का बोझ
- समंदर का दूसरा किनारा
- जज़्बात का क़त्ल
- शोकेस में पड़ा खिलौना
- रिश्ते क्या हैं, जानती हूँ
- सहारे के बिना
- तख़लीक़ की लौ
- काश मैं समझदार न बनूँ
- मन के अक्स
- उड़ान से पहले
- शराफ़त के पुल
- एक अजीब बात
- नया समाज
- प्रीत की रीत
- बेरंग तस्वीर
- प्यार की सरहदें
- मुहब्बतों के फ़ासले
- विश्वासघात
- आत्मकथा
- निरर्थक खिलौने
- शरीयत बिल
- धरती के दिल के दाग़
- अमर गीत
- मशीनी इन्सान
- बर्दाश्त
- तुम्हारी याद
- अन्तहीन सफ़र का सिलसिला
- मुहब्बत की मंज़िल
- ज़ात का अंश
- अजनबी औरत
- खोटे बाट
- चादर
- एक माँ की मौत
- नज़्म मुझे लिखती है
- बीस सालों की डुबकी
- जख़्मी वक़्त
- सरकश वक़्त
- झुनझुना
- ममता की ललकार
- क्षण भर का डर
- यह सोचा भी न था
- चाँद की तमन्ना
- झूठा आईना
- इन्तहा
- एटमी धमाका
- क़ीमे से बनता है चाग़ी का पहाड़
- उड़ने की तमन्ना
- सिसकी, ठहाका और नज़्म
- आईने के सामने
- अधूरे ख़्वाब
- आईना मेरे सिवा
- ज़िन्दगी
- चाइल्ड कस्टडी
- सभी आसमानी पन्नों में दर्ज
- फ़ासला
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कहानी
अनूदित कहानी
पुस्तक समीक्षा
बात-चीत
ग़ज़ल
- अब ख़ुशी की हदों के पार हूँ मैं
- उस शिकारी से ये पूछो
- चढ़ा था जो सूरज
- ज़िंदगी एक आह होती है
- ठहराव ज़िन्दगी में दुबारा नहीं मिला
- बंजर ज़मीं
- बहता रहा जो दर्द का सैलाब था न कम
- बहारों का आया है मौसम सुहाना
- भटके हैं तेरी याद में जाने कहाँ कहाँ
- या बहारों का ही ये मौसम नहीं
- यूँ उसकी बेवफाई का मुझको गिला न था
- वक्त की गहराइयों से
- वो हवा शोख पत्ते उड़ा ले गई
- वो ही चला मिटाने नामो-निशां हमारा
- ज़माने से रिश्ता बनाकर तो देखो
अनूदित कविता
पुस्तक चर्चा
बाल साहित्य कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
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- अब ख़ुशी की हदों के पार हूँ मैं
- उस शिकारी से ये पूछो
- चढ़ा था जो सूरज
- ज़िंदगी एक आह होती है
- ठहराव ज़िन्दगी में दुबारा नहीं मिला
- बंजर ज़मीं
- बहता रहा जो दर्द का सैलाब था न कम
- बहारों का आया है मौसम सुहाना
- भटके हैं तेरी याद में जाने कहाँ कहाँ
- या बहारों का ही ये मौसम नहीं
- यूँ उसकी बेवफाई का मुझको गिला न था
- वक्त की गहराइयों से
- वो हवा शोख पत्ते उड़ा ले गई
- वो ही चला मिटाने नामो-निशां हमारा
- ज़माने से रिश्ता बनाकर तो देखो