हमें भारतवर्ष का उत्कर्ष चाहिए
बाल साहित्य | किशोर साहित्य कविता राघवेन्द्र पाण्डेय 'राघव'1 Dec 2019 (अंक: 145, प्रथम, 2019 में प्रकाशित)
स्वच्छ तन हो-स्वच्छ मन हो
स्वच्छ धरा और गगन हो
स्वच्छता चहुँ ओर ही इस वर्ष चाहिए
रोग न हो और न दुःख
स्वच्छता में निहित है सुख
देश के जन-जन में यह विमर्श चाहिए
स्वच्छता पहचान बने
आन-बान-शान बने
स्वच्छता की सोच अब सहर्ष चाहिए
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