जग में नहीं है आदर
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य कविता राघवेन्द्र पाण्डेय 'राघव'23 Feb 2019
जग में नहीं है आदर घास-फूस की तरह
बस घूमते रहते हैं चापलूस की तरह
दिन में अमेरिका की तरह बम गिरा गये
रातों में चाँद पर चढ़ेंगे रूस की तरह
कल तक थे ख़फ़ा जिनपे नज़र तिरछी किए साब
उन पर ही आज बरस गये जूस की तरह
सबको खिला-खिला के मिठाई हुए तबाह
ख़ुद के लिए हैं बच गये लमचूस की तरह
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