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दरिया–ए–दिल

29. क्या ही दिन थे क्या घराने अब तो बस यादें हैं बाक़ी

2122    2122    2122    2122
 
क्या ही दिन थे क्या घराने अब तो बस यादें हैं बाक़ी
उन दिनों के वे फ़साने अब तो बस यादें हैं बाक़ी
 
घर में दो थे छोटे कमरे, सात का परिवार था
दिन पड़े कुछ यूँ बिताने अब तो बस यादें हैं बाक़ी
 
गिल्ली डंडा, तू-तू मैं-मैं, खेलते बच्चे निकलकर
जाते थे घर घर बुलाने, अब तो बस यादें हैं बाक़ी
 
तीज पर, त्योहार पर मिलना मिलाना ख़ूब था
बातें थीं, थे ताने-बाने, अब तो बस यादें हैं बाक़ी
 
उन दिनों की बात है जब चोरी चोरी जाते थे
छत पे मिलने के बहाने, अब तो बस यादें हैं बाक़ी
 
वो किताबें लेना देना और छिपाना उनमें ख़त 
मिलना पढ़ने के बहाने, अब तो बस यादें हैं बाक़ी
 
व्याह शादी घर में होती, होता हंगामा सदा
मस्ती में मिल गाते गाने, अब तो बस यादें हैं बाक़ी
 
ढोलकी पर थाप देकर जब खनकती चूड़ियाँ
प्यार की वो दोस्ताने, अब तो बस यादें हैं बाक़ी.
 
अब नए इस दौर में बदलाव ‘देवी’ आया है
सब नया है हम पुराने, अब तो बस यादें हैं बाक़ी
 

पुस्तक की विषय सूची

  1. समर्पण
  2. कुछ शेर
  3. पुरोवाक्‌
  4. जीवनानुभावों की नींव पर शब्दों का शिल्प
  5. बहता हुआ दरिया-ए-दिल
  6. शायरी की पुजारन— देवी नागरानी
  7. ग़ज़ल के आईने में देवी नगरानी
  8. अपनी बात
  9. 1. तू ही एक मेरा हबीब है
  10. 2. रात का पर्दा उठा मेरे ख़ुदा
  11. 3. इक नया संदेश लाती है सहर
  12. 4. मुझमें जैसे बसता तू है
  13. 5. तू ही जाने तेरी मर्ज़ी, या ख़ुदा कुछ और है
  14. 6. नज़र में नज़ारे ये कैसे अयाँ हैं
  15. 7. हाँ यक़ीनन सँवर गया कोई
  16. 8. मन रहा मदहोश मेरा भोर तक
  17. 9. इंतज़ार उसका किया था भोर तक
  18. 10. अपनी निगाह में न कभी ख़ुद को तोलिए
  19. 11. नाम मेरा मिटा दिया तूने
  20. 12. तुझको ऐ ज़िन्दगी जिया ही नहीं
  21. 13. रात क्या, दिन है क्या पता ही नहीं
  22. 14. धीरे धीरे दूरियों से आशना हो जाएगा
  23. 15. गीता का ज्ञान कहता जो सुन उसको लीजिये
  24. 16. बंद है जिनके दरीचे, उन घरों से मत डरो
  25. 17. ग़म की बाहर थी क़तारें और मैं भीतर निहाँ
  26. 18. ले गया कोई चुरा कर मेरे हिस्से की ख़ुशी
  27. 19. हर किसी से था उलझता बेसबब
  28. 20. हार मानी ज़िन्दगी से, यह सरासर ख़ुदकुशी थी
  29. 21. आँचल है बेटियों का मैक़े का प्यारा आँगन 
  30. 22. आपसे ज़्यादा नहीं तो आपसे कुछ कम नहीं
  31. 23. काश दिल से ये दिल मिले होते
  32. 24. मत दिलाओ याद फिर उस रात की
  33. 25. तमाम उम्र थे भटके सुकून पाने में
  34. 26. रात को दिन का इंतज़ार रहा
  35. 27. दिल का क्या है, काँच की मानिंद बिखरता जाएगा
  36. 28. है हर पीढ़ी का अपना अपना बस इक मरहला यारो
  37. 29. क्या ही दिन थे क्या घराने अब तो बस यादें हैं बाक़ी
  38. 30. चुपके से कह रहा है ख़ामोशियों का मौसम
  39. 31. फिर कौन सी ख़ुश्बू से मिरा महका चमन है
  40. 32. चलते चलते ही शाम हो जाए
  41. 33. होती बेबस है ग़रीबी क्या करें
  42. 34. निकला सूरज न था, प्रभात हुई
  43. 35. क़हर बरपा कर रही हैं बिजलियाँ कल रात से
  44. 36 हर हसीं चेहरा तो गुलाब नहीं
  45. 37. दिन बुरे हैं मगर ख़राब नहीं
  46. 38. अपनी मुट्ठी से निकलकर वो पराई हो गई
  47. 39. देख कर रोज़ अख़बार की सुर्ख़ियाँ
  48. 40. दूर जब रात भर तू था मुझसे 
  49. 41. जीने मरने के वो मंजर एक जैसे हो गए
  50. 42. ‘हम हैं भारत के' बताकर एक फिर से हो गए
  51. 43. मेरा तारूफ़ है क्या मैं जानता ही न
  52. 44. यह राज़  क्या है जान ही पाया नहीं कभी
  53. 45. मेरी  हर बात का बुरा  माना
  54. 46. दिल को ऐसा ख़ुमार दे या रब
  55. 47. मेरा घरबार है अज़ीज़ मुझे
  56. 48. तेरा इकरार है अज़ीज़ मुझे
  57. 49. पार टूटी हुई कश्ती को उतरते देखा
क्रमशः

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