दरिया–ए–दिल
47. मेरा घरबार है अज़ीज़ मुझे
2122    1212    22
 
मेरा घरबार है अज़ीज़ मुझे
मेरा परिवार है अज़ीज़ मुझे
 
खार के साथ हों गुलाब वहीं
ऐसा गुलज़ार है अज़ीज़ मुझे
 
सल्तनत की ख़बर से हो वाक़िफ़
ऐसी सरकार है अज़ीज़ मुझे
 
मेरे मौला की ओर से आए
वो भी आज़ार है अज़ीज़ मुझे
 
दीन दुनिया की हो तलब जिसको
वो तलबगार है अज़ीज़ मुझे
 
जिससे रोशन रहे ज़मीर मिरा
वो ही आसार है अज़ीज़ मुझे
 
याद रब की दिला दे जो मुझको
ऐसा हर ख़ार है अज़ीज़ मुझे
 
काम जिसके मैं आ सकूँ ‘देवी’ 
वो निराधार है अज़ीज़ मुझे
पुस्तक की विषय सूची
- समर्पण
 - 61. कर दे रौशन दिल को फिर से वो सितारा मिल गया
 - कुछ शेर
 - पुरोवाक्
 - जीवनानुभावों की नींव पर शब्दों का शिल्प
 - बहता हुआ दरिया-ए-दिल
 - शायरी की पुजारन— देवी नागरानी
 - ग़ज़ल के आईने में देवी नगरानी
 - अपनी बात
 - 1. तू ही एक मेरा हबीब है
 - 2. रात का पर्दा उठा मेरे ख़ुदा
 - 3. इक नया संदेश लाती है सहर
 - 4. मुझमें जैसे बसता तू है
 - 5. तू ही जाने तेरी मर्ज़ी, या ख़ुदा कुछ और है
 - 6. नज़र में नज़ारे ये कैसे अयाँ हैं
 - 7. हाँ यक़ीनन सँवर गया कोई
 - 8. मन रहा मदहोश मेरा भोर तक
 - 9. इंतज़ार उसका किया था भोर तक
 - 10. अपनी निगाह में न कभी ख़ुद को तोलिए
 - 11. नाम मेरा मिटा दिया तूने
 - 12. तुझको ऐ ज़िन्दगी जिया ही नहीं
 - 13. रात क्या, दिन है क्या पता ही नहीं
 - 14. धीरे धीरे दूरियों से आशना हो जाएगा
 - 15. गीता का ज्ञान कहता जो सुन उसको लीजिये
 - 16. बंद है जिनके दरीचे, उन घरों से मत डरो
 - 17. ग़म की बाहर थी क़तारें और मैं भीतर निहाँ
 - 18. ले गया कोई चुरा कर मेरे हिस्से की ख़ुशी
 - 19. हर किसी से था उलझता बेसबब
 - 20. हार मानी ज़िन्दगी से, यह सरासर ख़ुदकुशी थी
 - 21. आँचल है बेटियों का मैक़े का प्यारा आँगन
 - 22. आपसे ज़्यादा नहीं तो आपसे कुछ कम नहीं
 - 23. काश दिल से ये दिल मिले होते
 - 24. मत दिलाओ याद फिर उस रात की
 - 25. तमाम उम्र थे भटके सुकून पाने में
 - 26. रात को दिन का इंतज़ार रहा
 - 27. दिल का क्या है, काँच की मानिंद बिखरता जाएगा
 - 28. है हर पीढ़ी का अपना अपना बस इक मरहला यारो
 - 29. क्या ही दिन थे क्या घराने अब तो बस यादें हैं बाक़ी
 - 30. चुपके से कह रहा है ख़ामोशियों का मौसम
 - 31. फिर कौन सी ख़ुश्बू से मिरा महका चमन है
 - 32. चलते चलते ही शाम हो जाए
 - 33. होती बेबस है ग़रीबी क्या करें
 - 34. निकला सूरज न था, प्रभात हुई
 - 35. क़हर बरपा कर रही हैं बिजलियाँ कल रात से
 - 36 हर हसीं चेहरा तो गुलाब नहीं
 - 37. दिन बुरे हैं मगर ख़राब नहीं
 - 38. अपनी मुट्ठी से निकलकर वो पराई हो गई
 - 39. देख कर रोज़ अख़बार की सुर्ख़ियाँ
 - 40. दूर जब रात भर तू था मुझसे
 - 41. जीने मरने के वो मंजर एक जैसे हो गए
 - 42. ‘हम हैं भारत के' बताकर एक फिर से हो गए
 - 43. मेरा तारूफ़ है क्या मैं जानता ही न
 - 44. यह राज़ क्या है जान ही पाया नहीं कभी
 - 45. मेरी हर बात का बुरा माना
 - 46. दिल को ऐसा ख़ुमार दे या रब
 - 47. मेरा घरबार है अज़ीज़ मुझे
 - 48. तेरा इकरार है अज़ीज़ मुझे
 - 49. पार टूटी हुई कश्ती को उतरते देखा
 - 50. ख़ुद की नज़रों में कभी ख़ुद को उठा कर देखो
 - 51. हमारा क्या है सरमाया अनोखा है गणित लगता
 - 52. जो सदियों से रिश्ते पुराने लगे हैं
 - 53. क्या जाने मैंने क्यों लिखी, इस रेत पर ग़ज़ल
 - 54. सूद पर सूद इकट्ठा भी तू देगा कब तक
 - 55. हमने आँगन की दरारों को बिछड़ते देखा
 - 56. महरबां ज़िन्दगी क्या क्या सिखाती है सिखाती है
 - 57. तमाम उम्र थे भटके सुकून पाने में
 - 58. ख़त्म जल्दी मामला हो ये ज़रूरी तो नहीं
 - 59. सहरा सहरा ज़िन्दगी ढूँढ़ रही है आब
 - 60. वो मानते भी मुझे कैसे बेगुनाह अभी
 - 62. क्या ये क़िस्मत की आज़माइश है
 - 63. बेवजह दिल आज मेरा मुस्कुराना चाहता है
 - 64. खो गया है गाँव मेरा पत्थरों के शहर में
 - 65. पढ़े तो कोई दीन-दुखियों की भाषा
 - 66 आँखों के आँगन में पाई फिर नज़ारों की ख़लिश
 - 67. नाम तेरा नाम मेरा कर रहा कोई और है
 - 68. ये शाइरी क्या चीज़ है, अल्फ़ाज़ की जादूगरी
 - 69. दिले-नादां सँभल कर भी चले हैं किस ज़माने में
 - 70. हम क़यामत ख़ुद पे ढाने लग गये
 - 71. जब ख़ुशी रोई पुराने मोड़ पर
 - 72. ग़म का सागर कैसे पीते प्यार में जो दम न होता
 - 73. उठो सपूतो देश के आओ
 - 74. घनी छाँव देता वो माओं का आँचल
 - 75. रिदा बन गया बद्दुआओं का आँचल
 - 76. यह नवाज़िश है ख़ुदा की शान है
 - 77. ज़िन्दगी है या, ये है धुआँ
 - 78. आँख से आँख हम मिला न सके
 - 79. जो बात लाई किनारे पे, आस्था की थी
 - 80. चेहरे की ओर देख, नज़ारों की बात की
 - 81. मैं जहाँ के सभी गुलशन या समंदर देखूँ
 - 82. किसने लिखी है वसीयत, उसकी भी और मेरी भी
 - 83. थरथराता रह गया डर का अधर बरसात में
 - 84. वो कैसे बोझ का दिल पर ले ग़ुबार चले
 - 85. दोस्त बनकर यूँ गुलों पर ज़ुल्म ढा कर चल दिए
 - 86. पंछियों के बालों पर थे, पर सरों का क्या हुआ
 - 87. अश्क आँखों से गर निकल जाते
 - 88. कैसे उजड़े हैं आशियाँ देखो
 - 89. ये वो है कशकोल जिसका छेद भी दिखता नहीं
 - 90. है बाग़ बाग़ मिरा दिल, ग़ज़ल की ख़ुशबू से
 - 90. है बाग़ बाग़ मिरा दिल, ग़ज़ल की ख़ुशबू से
 - 90. है बाग़ बाग़ मिरा दिल, ग़ज़ल की ख़ुशबू से
 - 91. सिसकियों से वास्ता सा हो गया
 - 92. बेवजह होती हैं जब रुस्वाइयाँ जी
 - 93. देखो समझो फूल काँटे का चलन संसार में
 - 94. जूझा तब तब वो अपनी ख्वाइश से
 - 95. इन्द्रधनुष-सा रंग रंगीला याद आया है बचपन मुझको
 - 97. अपनों के बीच ग़ैर थे उसको पता न था
 - 97. तारीकियाँ मिटा दो, इक बार मुस्करा दो
 - 98. बेसबब, बेवक़्त अपनों की मलामत मत करो
 - 99. वो खिवैया बनके आएगा मिरा विश्वास है
 - 100. आओ इस महफ़िल में आओ, झूमकर मिल गीत गाओ
 - 101. क्या ये ज़िंदगी कोई ख़्वाब है
 - 102. चांदनी रात मुझको लुभाती रही
 - 103. वहाँ कुछ किसी का सलामत नहीं है
 - 104. लड़ाई भूख से लड़ने लगा हूँ
 - 105. पाटे पटती नहीं सोच की दूरियाँ
 - 106. जो हमेशा था जीतता मुझसे
 - 107. सुब्हदम तू जागरण के गीत गाती जा सबा
 - 108. क्या करता है तेरी मेरी, इन बातों में क्या रक्खा है
 - 109. आस्थाएँ तोड़ने वाला बड़ा बदनाम है
 
लेखक की पुस्तकें
लेखक की अनूदित पुस्तकें
लेखक की अन्य कृतियाँ
ग़ज़ल
- अब ख़ुशी की हदों के पार हूँ मैं
 - उस शिकारी से ये पूछो
 - चढ़ा था जो सूरज
 - ज़िंदगी एक आह होती है
 - ठहराव ज़िन्दगी में दुबारा नहीं मिला
 - तू ही एक मेरा हबीब है
 - नाम तेरा नाम मेरा कर रहा कोई और है
 - बंजर ज़मीं
 - बहता रहा जो दर्द का सैलाब था न कम
 - बहारों का आया है मौसम सुहाना
 - भटके हैं तेरी याद में जाने कहाँ कहाँ
 - या बहारों का ही ये मौसम नहीं
 - यूँ उसकी बेवफाई का मुझको गिला न था
 - वक्त की गहराइयों से
 - वो हवा शोख पत्ते उड़ा ले गई
 - वो ही चला मिटाने नामो-निशां हमारा
 - ज़माने से रिश्ता बनाकर तो देखो
 
आप-बीती
कविता
साहित्यिक आलेख
कहानी
अनूदित कहानी
पुस्तक समीक्षा
बात-चीत
अनूदित कविता
पुस्तक चर्चा
बाल साहित्य कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं