रौनक़
कथा साहित्य | लघुकथा प्रो. नव संगीत सिंह1 Dec 2024 (अंक: 266, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
कुछ समय पहले एक परिवार दूर से आकर शहर की नवनिर्मित कॉलोनी में रहने लगा। घर में कुल तीन सदस्य थे—पति, पत्नी और बेटी। उन्होंने घर बना-बनाया ख़रीदा था। पैसे तो बहुत ख़र्च हुए थे, लेकिन खुला होने के कारण उन्हें यह बहुत पसंद था।
कबूतरों का एक जोड़ा घर के एक झरोखे में घोंसला बनाकर मस्ती से रह रहा था, क्योंकि घर दो साल से ख़ाली पड़ा था। उन्होंने इधर-उधर गंदगी फैला रखी थी, तिनके इधर-उधर बिखरे पड़े थे। पति-पत्नी ने घर की सफ़ाई की, लेकिन घोंसला तोड़ने को लेकर दुविधा में थे। पति ने सीढ़ी लगाकर घोंसले में देखा, तो मादा कबूतर ने दो अंडे दे रखे थे। चूँकि सर्दियाँ क़रीब आ रही थीं, परिवार ने घोंसला तोड़ने का विचार त्याग दिया। कुछ दिनों के बाद अंडे फूटे और उनमें से दो नन्हे-मुन्ने बच्चे निकल आए। परिवार की बेटी यह देखकर बहुत ख़ुश हुई। इन छोटे बच्चों के लिए कबूतर-कबूतरी चोग़ा लेकर आते। माता-पिता की अनुपस्थिति में छोटे बच्चे डरते रहते थे। बच्चों की चहचहाहट से घर ख़ुशियों से भरा रहता।
एक महीना बीतने के बाद बच्चों ने उड़ना सीख लिया और एक दिन पूरा कबूतर-परिवार कहीं और उड़ गया। बच्चों की चहचहाहट और कबूतरों के बार-बार मँडराने से घर में जो ख़ुशी पैदा होती थी, वह अब नहीं रही।
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