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साज़िश 

 

विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं को रखा जाना था। हालाँकि नवीन ने निजी तौर पर पढ़ाई की, अपितु इसके, उसकी योग्यता उत्कृष्ट थी। उसे इसके लिए चुने जाने की सौ फ़ीसदी उम्मीद थी। 

इंटरव्यू का दिन आ गया। शॉर्टलिस्ट के बाद केवल चार उम्मीदवार बचे थे। चयन समिति की मुखिया एक घमंडी महिला थी, जिसका एक छात्र भी उम्मीदवार था। उसकी योग्यता तो ठीक-ठाक थी, लेकिन वह उस महिला के अधीन पीएचडी कर रहा था, जबकि नवीन का अभी तक पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) भी नहीं हुआ था। इंटरव्यू के बाद समिति की मुखिया ने नवीन को चुन लिया, लेकिन साथ में यह नोटिंग भी दे दी कि अगर आपका रजिस्ट्रेशन हो गया है तो आप रिसर्च स्कॉलर के तौर पर विभाग में हाज़िर हो जाइए। साथ ही उन्होंने अपने छात्र को प्रतीक्षा सूची में रख लिया, ताकि यदि चयनित छात्र उपस्थित न हो तो उसे मौक़ा दिया जा सके। यह तो स्पष्ट ही था कि इस नोटिंग के कारण नवीन उपस्थित नहीं हो सकता था। उसे एक साज़िश के तहत मक्खन से बाल की तरह बाहर कर दिया गया था। 

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