सुरंगमा यादव ताँका - 1
काव्य साहित्य | कविता-ताँका डॉ. सुरंगमा यादव5 Nov 2017
1.
निज शक्ति का
हनुमत को जब
हुआ आभास
पल में लाँघ लिया
निस्सीम पारावार ।
2.
प्रकृति सदा
निरत रहती है
निज कार्यों में
मनुज होकर तू
व्यर्थ वक़्त बिताये।
3.
पथ बाधा से
विचलित होकर
जीवन व्यर्थ
सच्चा मनुज वही
जो करता संघर्ष।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
प्रीति अग्रवाल ’अनुजा’ – ताँका – 001
कविता-ताँका | प्रीति अग्रवाल 'अनुजा'1. खोजते फिरे ईश्वर नहीं मिला हृदय…
प्रीति अग्रवाल ’अनुजा’ – ताँका – 002
कविता-ताँका | प्रीति अग्रवाल 'अनुजा'1. तोड़ी हमनें रूढ़ियों की बेड़ियाँ चैन…
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
सामाजिक आलेख
दोहे
कविता
कविता-मुक्तक
लघुकथा
सांस्कृतिक आलेख
शोध निबन्ध
कविता-माहिया
पुस्तक समीक्षा
कविता - हाइकु
कविता-ताँका
साहित्यिक आलेख
विडियो
ऑडियो
उपलब्ध नहीं