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गाँधी: महात्मा एवं सत्यधर्मी

11. एक किताब का जादुई स्पर्श

 

मैं सर्दियों की शाम, अँधेरे और ठंडे में, जोहान्सबर्ग शहर में सिमटकर बैठा हुआ था। उस समय गया हुआ था अपने पसंदीदा शाकाहारी भोजनालय में। कुछ समय पहले प्लेग की प्रचंड महामारी के फैलने दौरान, मेरे किए गए कामों ने मुझे कुछ प्रसिद्धि मिली थी। शाकाहारी भोजनालय में बैठे समय एक सज्जन ने आकर मुझे अपना परिचय दिया, “मेरा नाम हेनरी पोलक है . . . मैं ‘द क्रिटिक’ का एसोसिएट एडिटर हूँ। आपके काम और लेखन ने मुझे काफ़ी प्रभावित किया है।” 

उसी दिन से हेनरी पोलक मेरे निजी दोस्त बन गए। 

कुछ दिनों बाद मुझे मेरी पत्रिका ‘इंडियन ओपिनियन’ के प्रभारी मिस्टर वेस्ट का संदेश मिला कि पत्रिका की वित्तीय स्थिति इतनी अच्छी नहीं है। इसलिए मैंने वहाँ जाने के लिए बाहर निकला ही था तो हेनरी पोलक मुझे रेलवे स्टेशन पर विदा करने आए। ट्रेन छूटने से पहले, मेरे दोस्त हेनरी पोलक ने मुझे ‘ऑन टू द लास्ट’ नामक पुस्तक उपहार में दी, जिसके लेखक थे जॉन रस्किन। 

जोहान्सबर्ग से डरबन तक ट्रेन से जाने में चौबीस घंटे लगते है। मैंने समय पास करने के लिए वह किताब पढ़ना शुरू किया। लेकिन किताब के हर पन्ने, हर पंक्ति और हर शब्द में एक असाधारण प्रेरणा भरी हुई थी। धीरे-धीरे ट्रेन की रफ़्तार बढ़ती गई तो उस समय किताब के धुँधले स्पर्श के भीतर खो गया। मैंने पूरी रात जागते हुए काटी और एक की बैठक में ‘ऑन टू द लास्ट’ पूरी पढ़ ली। उसी रात मैंने यह दृढ़ निर्णय लिया कि इस किताब में निहित संदेशों को अपने जीवन में व्यवहार में लाऊँगा और मेरा अपना जीवन परिवर्तित करूँगा। 

यद्यपि मैंने अपने छात्र जीवन और कैरियर की शुरूआत के बारे में कुछ किताबें अवश्य पढ़ीं थी, मगर रस्किन की ‘ऑन टू द लास्ट’ की जादुई अपील ने मेरी आत्मा को छू लिया। किताब ने मुझे तुरंत परिवर्तित कर दिया। पुस्तक में वर्णित मार्मिक संदेशों ने मुझे इतनी गहराई से प्रभावित किया कि मैंने इसका गुजराती भाषा में अनुवाद किया, ‘सर्वोदय’ के नाम से। 

रस्किन की ‘ऑन टू द लास्ट’ पुस्तक की हर पंक्ति ने मेरे हृदय को आंदोलित किया था। 

उस पल से मेरी ज़िन्दगी बदल गई थी। जॉन रस्किन की इस उत्कृष्ट कृति में तीन महत्त्वपूर्ण सबक़ थे:

1) किसी का भी व्यक्तिगत विकास सभी के समग्र विकास में निहित है। 
2) जीवन में श्रम का मूल्य बहुत ऊँचा और महत्त्वपूर्ण होता है। 
3) सभी शारीरिक श्रम समान मूल्य के होते हैं।

जिस क्षण से मैंने इस पुस्तक को पढ़ा, तभी से इन आप्त वाक्यों को अपने निजी जीवन में लागू करने के लिए प्रेरित हुआ। 

मोहन दास करमचंद गाँधी (1927 और 2021) “द मैजिक स्पेल ऑफ़ ए बुक“; माई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ, नवजीवन पब्लिशिंग हाउस, अहमदाबाद। पृष्ठ 274-276
सकाल

27, मार्च 2022 (साहित्य पृष्ठा) 

पुस्तक की विषय सूची

  1. समर्पित
  2. कई सवालों के बीच महात्मा गाँधी 
  3. गाँधी: एक अलीक योद्धा
  4. मोहनदास से महात्मा की यात्रा
  5. 1. गाँधीजी: सत्यधर्मी
  6. 2. मोहन दास से महात्मा गाँधी: चेतना के ऊर्ध्वगामी होने की यात्रा
  7. 3. सत्यधर्मी गाँधी: शताब्दी
  8. 4. गाँधीजी: अद्वितीय रचनाकार
  9. 5.  “चलो, फुटबॉल खेलते हैं” : गांधीजी
  10. 6. सौ वर्ष में दो अनन्य घटनाएँ
  11. 7. महात्मा गाँधी की क़लम
  12. 8. गाँधीजी और डॉ. कालेनबेक: अध्यात्म-रज्जु पर चलने वाले दो पथिक
  13. 9. इज़राइल में गाँधी की दोस्ती का स्मृति-चिह्न
  14. 10. मंडेला की धरती पर भीम भोई एवं गाँधी जी
  15. 11. एक किताब का जादुई स्पर्श
  16. 12. गाँधीजी के तीन अचर्चित ओड़िया अनुयायी
  17. 13. लंडा देहुरी, फ़्रीडा और गाँधीजी
  18. 14. पार्वती गिरि: ‘बाएरी’ से ‘अग्नि-कन्या’
  19. 15. गाँधीजी के आध्यात्मिक शिष्य: विनोबा
  20. 16. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम: विदेशी संग्रामी
  21. 17. अँग्रेज़ पुलिस को पीटने वाली बरगढ़ की सेनानी बहू: देमती देई शबर
  22. 18. ‘विद्रोही घाटी' के सेनानी चन्द्रशेखर बेहेरा के घर गाँधी जी का रात्रि प्रवास
  23. 19. रग-रग में शौर्य:गाँधीजी के पैदल सैनिक और ग्यारह मूर्तियाँ     
  24. 20. पल-दाढ़भाव और आमको-सिमको नरसंहार: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक अनन्य घटना
  25. 21. “राजकुमार क़ानून” और परिपक्व भारतीय लोकतंत्र
  26. 22. गंगाधर की “भारती भावना“: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सारस्वत आलेख
  27. 23 अंतिम जहलिया: जुहार
क्रमशः

लेखक की पुस्तकें

  1. भिक्षुणी
  2. गाँधी: महात्मा एवं सत्यधर्मी
  3. त्रेता: एक सम्यक मूल्यांकन 
  4. स्मृतियों में हार्वर्ड
  5. अंधा कवि

लेखक की अनूदित पुस्तकें

  1. अदिति की आत्मकथा
  2. पिताओं और पुत्रों की
  3. नंदिनी साहू की चुनिंदा कहानियाँ

लेखक की अन्य कृतियाँ

पुस्तक समीक्षा

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