पानी
काव्य साहित्य | कविता रामदयाल रोहज1 Jun 2020
प्रवाहिनी का प्यार है पानी
पर्वत का सितार है पानी
चमकीले मोती की बुनी हुई कंठी
झरने का झरना सिंगार है पानी
शबनम बाला की जान है पानी
हर सागर की शान है पानी
गर्मी की लपटों में ओष्ठ उसके सूखे
मौन बैठी झील का अरमान है पानी
वर्षा-पाजेबों की छनकार है पानी
नाचे नभ में नीरद फ़नकार है पानी
मरुथल में अग्नि के गोले बरसाते
दुर्भिक्ष के तन पर तलवार है पानी
प्यासे को अमृत का पान है पानी
कर देता प्राणों का दान है पानी
सृष्टि में पल पल करता है नव सृजन
सद्गुण से पूरित रस खान पानी
फूलों का खिलना आधार है पानी
माली की मेहनत का सार है पानी
आती है बागों में सतरंगी तितली
फूलों से मिलना आहार है पानी
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