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भीतर से मैं कितनी खाली

बहुआयामी व्यक्तित्व की व्यासंगी साहित्यिकारा देवी नागरानी

 

स्वतंत्रतापूर्व काल में जन्मी, सच्चा भारतीयत्व संजोने वाली, अनेक भाषाओं पर प्रभुत्व रखने वाली, साहित्य के साथ ही गणित जैसे विषय में पदवी प्राप्त करने वाली और साहित्य शारदा की अविरत सेवा करने वाली देवी नागरानी का जन्म 11 मई सन 1941 में कराची में हुआ। उस समय कराची भारत में था। मुंबई आने पर उन्होंने बी.ए. की पदवी प्राप्त की। विवाह पश्चात वे अमेरिका में न्यू जर्सी गईं। वहाँ उन्होंने जीवन भर भाषा अध्यापन का कार्य किया और शिक्षा क्षेत्र से अवकाश प्राप्त किया। उनका स्थायीभाव सदा कार्यमग्न रहने का होने के कारण उन्होंने लेखन कार्य का श्री गणेश किया और देखेते ही देखेते उन्होंने अनेक विधाओं के जिस साहित्य सृजन किया है वह सभी के लिए केवल आश्चर्यकारक है। उनके लेखन का आयाम दिन-ब-दिन वर्धित होता हुआ दिखाई देता है, जिस का मूलभूत कारण उनका सात भाषाओं के गहरे ज्ञान में है।

इन सभी भाषाओं पर उन का प्रभुत्व रहने के कारण साहित्य क्षेत्र  में उनके किए भिन्न प्रयोग उनके साहित्य विषय में गहरा ज्ञान और भाषा के ज्ञान को प्रकट करने वाले हैं। आज भी उम्र के अस्सी वर्ष पार करने के पश्चात भी उनका उत्साह प्ररेणादायक है। हम देख पाते हैं कि जीवन में जो भी समय मिलता है, उसका सदुपयोग उन्होंने साहित्य निर्माण के लिए किया है। उनकी साहित्य सृजन की यात्रा का आरंभ सन् 2007 में हुआ दिखाई देता है। चौदह साल पहले यानी कि उम्र के छियासठवें वर्ष में ‘गम में भीगी खुशी’ नाम सिंधी ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित हुआ और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। आज तक उन के कुल नौ सिंधी कथाओं एवं काव्य संग्रहों का प्रकाशन हो चुका है।

सिंधी भाषा के साथ ही हिंदी में भी कथा, कविता, ललित और गज़ल जैसे साहित्य विधाओं में उनकी बारह किताबें प्रकाशित हुईं हैं। ‘The Journey’ नाम का अंग्रेज़ी काव्य संग्रह सन् 2009 में ‘भीतर से मैं कितनी खाली’ प्रकाशित हुआ। साहित्य के महिमार्ग पर चलते हुए उन्होंने हिंदी से सिंधी में अनुवाद भी किए। इस तरह की उनकी कुल आठ किताबें हैं। और खास बात यह है, कि भारत के प्रधानमंत्री श्री. नरेन्द्र मोदीजी के हिंदी काव्य ‘आंख ये धन्य है’ का भी सिंधी में अनुवाद किया गया है। उसी तरह उन्होंने सिंधी के उत्तम साहित्य को भी हिंदी में अनुवादित किया है। ऐसी कुल तेरह किताबें हैं, जिन में भी काफी विविधता दिखाई पड़ती है। उन किताबों की गिनती भी काफी है। उनकी लिखी किताबों के भी अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं। खास तौर पर उनकी कथा साहित्य का मराठी, पंंजाबी, उर्दू, तेलुगु, तमिल, मल्यालम और अंग्रेज़ी जैसी सात भाषाओं में प्रकाशित होने का सम्मान उन्हें प्राप्त है। देवी नागरानी जी की विशेषतापूर्ण तथा भाषा बंधन से परे साहित्य संपदा उनकी एक असामान्य कारीगरी है, जिस के कारण उन्हें भिन्न भिन्न राष्ट्रीय तथा आंतराष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। ये सभी सन् 2007 और 2021 के बीच सतत प्राप्त होते रहे हैं, जो गिनने बैठने पर दो पन्ने भर जाएँगे। इससे यह साबित होता है, कि उनके लेखन के आरंभ के साथ ही पुरस्कार भी चलकर आते गए, जो सचमुच एक गर्व की बात है। इतना ही नहीं, उन के साहित्य पर एम. फिल. और पीएच. डी. भी की गईं हैं। देवी नागरानी जैसी बहुआयामी बुद्धि धारी से मेरी गहरी दोस्ती कैसे बनी मुझे पता ही न चला! बहुत ही प्यारा और प्यार करने वाला व्यक्तित्व रखनेवाली देवी नागरानी की कुछ किताबें प्रकाशित करने का सौभाग्य मुझे प्राप्त है। सिंधी, हिंदी भाषाओं का संगम बना उनका ‘भीतर से मैं कितनी खाली' नाम का संग्रह ‘स्नेहवर्धन प्रकाशन’ की ओर से 26 जनवरी 2023, के दिन प्रकाशित हो रहा है, जिसके लिए मैं विशेष रूप से आनंदिदत हूँ। रसिक पाठकों को ‘भीतर से मैं कितनी खाली’ सिंधी-हिंदी काव्य की तर्जुमानी के रूप में एक अक्षर दावत मिल रही है। स्वरूप सौंदर्य तथा बुद्धिमत्ता का ज़ेवर प्राप्त मेरी ज्येष्ठ सहेली देवी नागरानी की शताब्दी मनाने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हो, यही शुभकामना प्रकट करते हुए और इस अवसर पर उन से अधिकाधिक साहित्य सृजन की शुभकामना करती हूँ।

डॉ. स्नेहल तावरे
भ्रमण संवाद 9423643131

पुस्तक की विषय सूची

  1. प्रस्तावना – राजेश रघुवंशी
  2. भूमिका
  3. बहुआयामी व्यक्तित्व की व्यासंगी साहित्यिकारा देवी नागरानी
  4. कुछ तो कहूँ . . .
  5. मेरी बात
  6. 1. सच मानिए वही कविता है
  7. 2. तुम स्वामी मैं दासी
  8. 3. सुप्रभात
  9. 4. प्रलय काल है पुकार रहा
  10. 5. भीतर से मैं कितनी ख़ाली
  11. 6. एक दिन की दिनचर्या
  12. 7. उम्मीद नहीं छोड़ी है
  13. 8. मैं मौत के घाट उतारी गई हूँ
  14. 9. क्या करें? 
  15. 10. समय का संकट
  16. 11. उल्लास के पल
  17. 12. रैन कहाँ जो सोवत है
  18. 13. पाती भारत माँ के नाम
  19. 14. सुख दुख की लोरी
  20. 15. नियति
  21. 16. वे घर नहीं घराने हैं
  22. 17. यादों में वो बातें
  23. 18. मन की गाँठें
  24. 19. रेंग रहे हैं
  25. 20. मुबारक साल 2021
  26. 21. जोश
  27. 22. इल्म और तकनीक
  28. 23. शर्म और सज्दा
  29. 24. लम्स
  30. 25. अपनी नौका खेव रहे हैं
  31. 26. नया साल
  32. 27. बहाव निरंतर जारी है
  33. 28. तनाव
  34. 29. यह दर्द भी अजीब शै है
  35. 30. रात का मौन
  36. 31. रावण जल रहा
  37. 32. लौट चलो घर अपने
  38. 33. उम्मीद बरस रही है
  39. 34. क़ुदरत परोस रही
  40. 35. रेत
  41. 36. मेरी यादों का सागर
  42. 37. मन का उजाला
  43. 38. लड़ाई लड़नी है फिर से
  44. 39. सिहर रहा है वुजूद
  45. 40. मेरी जवाबदारी
क्रमशः

लेखक की पुस्तकें

  1. भीतर से मैं कितनी खाली
  2. ऐसा भी होता है
  3. और गंगा बहती रही
  4. चराग़े दिल
  5. दरिया–ए–दिल
  6. एक थका हुआ सच
  7. लौ दर्दे दिल की
  8. पंद्रह सिंधी कहानियाँ
  9. परछाईयों का जंगल
  10. प्रांत प्रांत की कहानियाँ
  11. माटी कहे कुम्भार से
  12. दरिया–ए–दिल
  13. पंद्रह सिंधी कहानियाँ
  14. एक थका हुआ सच
  15. प्रांत-प्रांत की कहानियाँ
  16. चराग़े-दिल

लेखक की अनूदित पुस्तकें

  1. एक थका हुआ सच

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