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भीतर से मैं कितनी खाली

18. मन की गाँठें

 

कितनी गाँठें मन में मेरे बँधी हुई हैं
समय के साथ जब खुलती हैं
दबी हुई टकसाल से तब
नवाज़ जाती है मुझको
उन अनुभूतियों से जो
हमारे भीतर सुस्ता रही थी
करवट बदलते हुए टटोल रही थी
लड़ रही थी विश्वास और अविश्वास का द्वंद्व
पर अब धुँधलापन सोच का दूर हुआ है
अब अभिव्यक्ति मार्ग दर्शक बन रही है
तेरी मेरी हर उस औरत की
जिसके भीतर में वो गाँठें खुल रही हैं
अब अनुभूति से अभिव्यक्ति के सफ़र में
यह क़लम की ताक़त ही है, 
जो हमारे भीतर को बाहर से जोड़ती आ रही है
एक योद्धा की तरह
निडर
निश्चिंत
सोच के क़दम आगे और आगे बढ़ते जा रहे हैं
बेख़बर उन पगडंडियों से
जो पीछे छोड़ आए
सामने आगे की नई सड़क
अपने आलिंगन में भरने को खड़ी है
हर नारी पात्र को
जो पथरीली राह से गुज़रकर
इस सड़क पर आ पहुँची है
अब यह सड़क
उसका स्वागत करने स पीछे नहीं हटेगी
नहीं हटेगी। 

पुस्तक की विषय सूची

  1. प्रस्तावना – राजेश रघुवंशी
  2. भूमिका
  3. बहुआयामी व्यक्तित्व की व्यासंगी साहित्यिकारा देवी नागरानी
  4. कुछ तो कहूँ . . .
  5. मेरी बात
  6. 1. सच मानिए वही कविता है
  7. 2. तुम स्वामी मैं दासी
  8. 3. सुप्रभात
  9. 4. प्रलय काल है पुकार रहा
  10. 5. भीतर से मैं कितनी ख़ाली
  11. 6. एक दिन की दिनचर्या
  12. 7. उम्मीद नहीं छोड़ी है
  13. 8. मैं मौत के घाट उतारी गई हूँ
  14. 9. क्या करें? 
  15. 10. समय का संकट
  16. 11. उल्लास के पल
  17. 12. रैन कहाँ जो सोवत है
  18. 13. पाती भारत माँ के नाम
  19. 14. सुख दुख की लोरी
  20. 15. नियति
  21. 16. वे घर नहीं घराने हैं
  22. 17. यादों में वो बातें
  23. 18. मन की गाँठें
  24. 19. रेंग रहे हैं
  25. 20. मुबारक साल 2021
क्रमशः

लेखक की पुस्तकें

  1. भीतर से मैं कितनी खाली
  2. ऐसा भी होता है
  3. और गंगा बहती रही
  4. चराग़े दिल
  5. दरिया–ए–दिल
  6. एक थका हुआ सच
  7. लौ दर्दे दिल की
  8. पंद्रह सिंधी कहानियाँ
  9. परछाईयों का जंगल
  10. प्रांत प्रांत की कहानियाँ
  11. माटी कहे कुम्भार से
  12. दरिया–ए–दिल
  13. पंद्रह सिंधी कहानियाँ
  14. एक थका हुआ सच
  15. प्रांत-प्रांत की कहानियाँ
  16. चराग़े-दिल

लेखक की अनूदित पुस्तकें

  1. एक थका हुआ सच

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