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अत्यधिक टाइट जींस पहनने वाली महिलाएँ हो सकती हैं मेराल्जिया पैरास्थेटिका की शिकार

 

स्वास्थ्य के बदले फ़ैशन करने के ख़िलाफ़ लाल बत्ती

 

पतली दिखने की चाहत में महिलाएँ स्किन टाइट जींस पहन कर अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही हैं। लंबे समय से चल रही त्वचा से चिपक जाए इतनी टाइट जींस पहनने के फ़ैशन के ख़िलाफ़ हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट ने लाल बत्ती दिखाते हुए कहा है कि अगर आप अपने स्वास्थ्य के बदले फ़ैशन करना चाहती हैं तो भले कीजिए। लेकिन इस प्रकार की जींस पहनने के बाद अगर आपको संवेदना का अनुभव न हो तो समझ लीजिए कि आपके शरीर को पर्याप्त रक्त नहीं मिल रहा है। 

अमेरिका के ग्रेटर बाल्टिमोर मेडिकल सेंटर के डॉ. कैरन बॉयल ने कहा है कि अत्यधिक टाइट जींस नर्व डिसऑर्डर (नस के कार्य में गड़बड़ी होना) पैदा करती है, जिसे मेराल्जिया पैरास्थेटिका के रूप में जाना जाता है। वेबसाइट में उन्होंने बताया है कि जब नितंब के बाहरी हिस्से की कोई नस दब जाती है, तब यह गड़बड़ी पैदा होती है। मेडिकल पेपर्स में भी इस नर्व डिसऑर्डर का उल्लेख किया गया है। साल 2003 में मालविंदर परमार ने कनेडियन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में मेराल्जिया पैरास्थेटिका के तीन केस का उल्लेख करते हुए बताया है कि ये तीनों स्थूलकाय महिला मरीज़ पिछले छह से आठ महीनों से अत्यंत टाइट और लो-राइज़ ट्राउज़र पहन रही थीं। 

न्यूरोसर्जन कहते हैं कि मेराल्जिया पेरेस्थेटिका में कमर के आसपास और नितंब के बग़ल के भाग की त्वचा को रक्त पहुँचाने वाली लेटरल क्यूटेनस नर्व (सेंसरी) को नुक़्सान पहुँचता है। जब किसी का वज़न बढ़ जाता है या कोई एकदम टाइट बेल्ट पहनता है, तब यह नस दब जाती है। इस दबाव के कारण नस का काम बदल जाता है, जिसकी वजह से हल्का स्पर्श भी उस व्यक्ति को बहुत कष्टदायक लगता है। 

चिकित्सक कहते हैं कि स्किन टाइट जींस पहनने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है। टाइट फ़िट जींस यदि नितंब के पास से ज़्यादा टाइट हो तो यह स्थिति पैदा होती है। हालाँकि इसका इलाज सम्भव है, लेकिन वह आसान नहीं है। सबसे पहले तो चिकित्सक नितंब के पास से अत्यधिक टाइट जींस या टाइट बेल्ट न पहनने की सलाह देते हैं। फिर भी यदि कोई मेराल्जिया पेरेस्थेटिका का शिकार हो गया हो तो उसकी दब गई नस को खोला जाता है या उसे पूरी तरह से काट दिया जाता है। 

विशेषज्ञ कहते हैं कि यह नस अत्यंत नाज़ुक होने से स्थूलकाय लोगों में यह नस दब जाने का भय अधिक होता है। ज़रूरी नहीं कि केवल अत्यधिक टाइट ट्राउज़र पहनने वाला व्यक्ति ही मेराल्जिया पेरेस्थेटिका का शिकार बने। फिर भी सावधान रहना उचित है। इस व्याधि का शिकार होने वाले मरीज़ की संवेदना पर असर पहुँचता है। डायबिटीज़ के मरीज़ को यह जल्दी लग जाती है। ऐसा भी हो सकता है कि मेराल्जिया पेरेस्थेटिका के मरीज़ को एक तरफ़ संवेदना ही न हो और दूसरी तरफ़ नितंब के बाहरी भाग में जलन हो। 

चिकित्सक कहते हैं कि स्किन टाइट जींस के साथ यदि ऊँची एड़ी के जूते पहने जाएँ तो परिस्थिति और बिगड़ती है। जब कोई महिला ऊँची एड़ी के जूते पहनती है, तब उसके शरीर का वज़न उसके पैरों के अँगूठे पर आता है, जो नाज़ुक नसों को प्रभावित करता है। अंततः यह समस्या मेराल्जिया पेरेस्थेटिका की पीड़ा को बढ़ा देती है। 

यहाँ उल्लेखनीय है कि अतीत में भी चिकित्सकों ने स्किन टाइट जींस के विरुद्ध चेताते हुए कहा था कि जो पुरुष संतान चाहते हैं, उन्हें ढीले ट्राउज़र पहनने चाहिए। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा था कि टाइट ट्राउज़र के कारण पुरुष के वृषण ज़्यादा गरम हो जाने का भय रहता है, जिसकी वजह से उनके शुक्राणुओं की संख्या में कमी आती है। 

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