मोरक्को में मिले अवशेषों ने बदल दिया विकासवादी इतिहास
आलेख | ऐतिहासिक स्नेहा सिंह1 Nov 2025 (अंक: 287, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
धरती की गहराइयों में दबी रहस्यमय कहानी एक बार फिर से सामने आई है। मोरक्को के पहाड़ी इलाक़ों से खोले गए डायनासोर की नई प्रजाति के जीवाश्मों ने वैज्ञानिकों को स्तब्ध कर दिया है। यह नया डायनासोर, स्पाइकॉमेलस एफर (Spicomellus afer) अपनी काँटेदार कवच और गर्दन की विशाल संरचना के साथ विकास (इवोल्यूशन) की प्राचीन कल्पनाओं को झकझोर कर रख देता है।
हाल ही में नेचर (Nature) में प्रोफ़ेसर सुसाना मेडमेंट (Susannah Maidment) और प्रोफ़ेसर रिचर्ड बटलर (Richard Butler) ने शोध पत्र प्रकाशित किया है। इन वैज्ञानिकों ने इन अवशेषों को दुनिया का सबसे पुराना एंकीलोसॉर (Ankylosaur) बताया है। वैज्ञानिकों ने इसे डायनासोर की दुनिया का पंक रॉकर’ कहा है।
एक समय ये डायनासोर उत्तर अफ़्रीका के विस्तृत मैदानों में घूमते थे। इस डायनासोर की गर्दन के आसपास बेहद विशिष्ट काँटे थे, जो कवच जैसा कॉलर बनाते थे। शरीर के बाक़ी हिस्सों की तुलना में यह हिस्सा अत्यधिक बड़ा और असामान्य था। पसलियों से निकलने वाले छोटे काँटे और पूँछ के सिरों पर किसी प्रकार के हथियार जैसी संरचना मौजूद थी।
यह खोज केवल नए पाए गए जीवाश्म ही नहीं हैं, बल्कि लाखों साल पहले के जीवन की रोमांचक झलक भी दिखाती है। यह हमें प्रागैतिहासिक दुनिया की रहस्यमय दुनिया में खींच ले जाती है।
नए खोजे गए डायनासोर किस कहानी के साथ आए हैं?
डायनासोर की नई प्रजाति
नेचर’ मैग्ज़ीन में प्रकाशित शोधपत्र में प्रोफ़ेसर मेडमेंट, प्रोफ़ेसर बटलर और प्रोफ़ेसर उआरहाशे (Driss Ouarhache) की टीम ने इस डायनासोर को सबसे पुराने एंकीलोसॉर (Ankylosaur) के रूप में पहचाना है। ये 16.5 करोड़ साल पहले मध्य जुरासिक काल में अस्तित्व में थे। इस खोज ने अफ़्रीका महाद्वीप में पहली बार एंकीलोसॉर की पहचान स्थापित की है। साथ ही वैश्विक स्तर पर एंकीलोसॉर के जीवाश्मों के इतिहास को दो करोड़ साल से अधिक पीछे धकेल दिया है।
इस खोज की कहानी 2019 में मोरक्को के पर्वतीय क्षेत्रों से प्राप्त एक विचित्र अवशेष से शुरू हुई थी। 2019 में लंदन के ‘नेचुरल हिस्ट्री म्यूज़ियम’ के पुरातत्वविद प्रोफ़ेसर सुसन्ना मेडमेंट ने कैंब्रिज में एक अवशेष व्यापारी से एक पसली की हड्डी प्राप्त की। हड्डी के साथ काँटों का सीधा जुड़ाव था। यह एक ऐसा लक्षण था, जो पहले किसी भी जीवित या लुप्त करोड़ों वर्ष पुराने प्राणी में नहीं देखा गया था। हड्डी में काँटों जैसी विशेषताओं ने शोधकर्ताओं में संदेह पैदा किया।
हड्डी नक़ली है या असली, इस संदेह का निवारण करने के लिए वैज्ञानिकों ने नमूने का सीटी स्कैन किया। इससे हड्डियों की प्रामाणिकता की जाँच हो सकी। सीटी स्कैन से साबित हुआ कि मिली हुई हड्डी असली थी। काँटों जैसी संरचना, हड्डी का प्राकृतिक हिस्सा थी। इस खोज के आधार पर इस प्रजाति का नाम Spicomelus afer रखा गया, जिसका अर्थ है ‘अफ़्रीका का काँटेदार गर्दन वाला (प्राणी)’।
2023 में एक स्थानीय किसान को मिडल एटलस पर्वतों में बौलेमाने के पास बाढ़ के पानी के कारण विचित्र हड्डियाँ ज़मीन से बाहर निकली हुई दिखाई दीं। ये समाचार नेचर मैग्ज़ीन में शोध प्रकाशित करने वाले वैज्ञानिकों तक पहुँचे। अंततः वैज्ञानिकों ने मिडल एटलस पर्वतों में बौलेमाने क्षेत्र में खुदाई शुरू की। खुदाई के दौरान प्राप्त अवशेषों ने उनकी सभी अपेक्षाओं की सीमाओं को पार कर दिया। अब चौंकाने का समय वैज्ञानिकों का था।
पुरानी थ्योरी को चुनौती
Spicomelus afer की खोज ने एंकीलोसॉर विकास के बारे में स्थापित थ्योरीज़ को आधुनिक चुनौती दी है। एंकीलोसॉर मध्य-जुरासिक से लेकर लेट क्रिटेसियस युग तक फैले हुए हैं, जब पृथ्वी पर बड़े उल्कापिंड और एस्टेरॉइड के टकराव के कारण पृथ्वी पर अधिकांश डायनासोर प्रजातियों का नाश हो गया।
पहले की पूर्वधारणाएं (hypotheses) सुझाती थीं कि ‘एंकीलोसॉर का कवच विकास, क्रिटेसियस शिकारी डायनासोरों के बढ़ते ख़तरे का सामना करने के लिए हुआ, जिनमें टायरानोसॉरस रेक्स (T-rex) जैसे बड़े मांसाहारी शामिल थे।’ वैज्ञानिकों का मानना था कि इस डायनासोर ने अपनी पीठ पर छोटी, सरल कवच प्लेटों के साथ शुरूआत की थी, जो समय के साथ बड़े और अधिक व्यापक हो गए थे।
प्रारंभिक एंकीलोसॉर में अब तक पाए गए सबसे व्यापक और चमड़े जैसे कवच थे, जबकि बाद में अस्तित्व में आई प्रजातियों ने कम विकसित संरचनाएँ अपनाईं। क्रिटेसियस एंकीलोसॉर पर पाए गए भारी कवच और बड़े काँटों की तुलना में Spicomelus पर पाए गए मीटर लंबाई के काँटे और हड्डी की कॉलर संरचना अधिक प्रभावशाली दिखती है।
यह शोध सुझाव देता है कि एंकीलोसॉर ने शायद जुरासिक युग में विस्तृत कवच के साथ शुरूआत की थी। लाखों वर्षों के विकास के बाद उन्होंने अधिक कार्यक्षम संरचनाएँ विकसित की। क्रिटेसियस एंकीलोसॉर का कवच सरल था, जो थेरोपोड डायनासोर, मगरमच्छ, साँप और स्तनधारी जीवों के बढ़ते ख़तरे के ख़िलाफ़ रक्षा कवच के रूप में काम आता था।
काँटों का राजा
खुदाई के दौरान पाए गए अवशेष इतने असामान्य थे कि उनकी शरीर संरचना को जोड़ना चुनौतीपूर्ण था। इसके बावजूद वैज्ञानिकों ने मेहनत के बाद इस प्रजाति की पूरी शरीर संरचना को समझा।
आधुनिक शोध दर्शाता है कि Spicomelus afer लगभग 13 फ़ीट (4 मीटर) लंबे थे। उनका वज़न लगभग दो टन था। उनकी विशेषताएँ थीं—नीची, धीमी गति और भारी कवचयुक्त शरीर। सबसे आकर्षक लक्षण डायनासोर की गर्दन के आसपास का विस्तृत कॉलर था। यह सामान्य एंकीलोसॉर की गर्दन कवच से अलग संरचना में है। यह संरचना जुड़ी हुई सपाट प्लेटों से बनी है, जिनके दोनों तरफ़ बड़े काँटे निकलते हैं। 10 सर्वाइकल काँटों में सबसे लंबा काँटा 34 इंच (87 सेंटीमीटर) लंबा था।
अब तक पाई गई प्रत्येक पसली में तीन-चार बड़े काँटे निकले पाए गए हैं। कुछ पसलियों में छह काँटे भी पाए गए। शोधकर्ताओं ने एक ब्लेड जैसा 17 इंच (42 सेंटीमीटर) लंबा काँटा भी पाया गया, जो पूँछ के हथियार का हिस्सा हो सकता है। हालाँकि अवशेष में पूँछ का सिरा नहीं है, अधूरे कशेरुका के आधार पर अनुमान है कि पूँछ का सिरा-क्लब जैसा संरचना वाला था।
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि वे पूँछ का हथियार के रूप में उपयोग करते थे। ये लगभग 30 लाख साल पहले विकसित हुए थे। यह खोज और अनुमान वैज्ञानिकों की एंकीलोसॉर के विकास की समझ को बदल देता है। जैसे आधुनिक जीवों में हिरण के सींग या मोर की पूँछ का उपयोग आकर्षण और प्रजनन के लिए होता है, उसी तरह नए खोजे गए डायनासोर का भव्य कवच और काँटे स्व-सुरक्षा के अलावा प्रदर्शनी और प्रजनन में भी काम आ सकते थे।
इतिहास पलट देने वाली खोज
वैज्ञानिकों के सामने अब मूल प्रश्न है—इस प्रजाति में इतने भव्य और विचित्र लक्षण क्यों विकसित हुए?” शरीर की अजीब संरचना और अधूरी कशेरुका के कारण वैज्ञानिक अब तक नहीं समझ पाए हैं कि इस डायनासोर की प्रजाति को वंशवृक्ष में कहाँ रखा जाए। वर्तमान में इसे अस्थाई रूप से एंकीलोसॉर समूह में रखा गया है।
नए खोजे गए डायनासोर की पूरी खोपड़ी अभी तक नहीं मिली है। वैज्ञानिकों का प्राथमिक कार्य यह होगा कि इस प्रजाति की पूर्ण खोपड़ी खोजी जाए, क्योंकि खोपड़ी ही डायनासोर की संवेदी क्षमताओं, भोजन की आदतों और जीवनशैली की जानकारी प्रदान कर सकती है।
Spicomelus afer केवल असामान्य जीवाश्मों से आगे की वैज्ञानिक जानकारी देता है। यह उदाहरण बताता है कि किसी भी प्रजाति का शारीरिक विकास, अनुकूलन में जटिलता या विकास की अवधि में पाए जाने वाले पैटर्न का पालन नहीं करता। कभी-कभी इतिहास में कुछ प्रजातियों में शारीरिक संरचना में विकास अनुमानित समय से पहले दिखाई देता है। बाद में शरीर प्रणाली और अधिक सरल और कार्यकुशल हो जाती है।
डायनासोर के लिए गर्दन के आसपास एक मीटर लंबे काँटे लेकर घूमना भारी कार्य रहा होगा। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि यह विचित्र शरीर संरचना हमला रोकने के लिए थी। नवीनतम शोध से पता चलता है कि प्राचीन जीवविज्ञानियों को अधूरे अवशेष पर आधारित, विकास के बारे में निष्कर्ष निकालने में सतर्क रहना चाहिए।
नई खोज और शोध जुरासिक युग के जीवन में विविधता की नई जानकारी देगा। यह पूरी तरह से ‘विचित्र’ जीव हमें याद दिलाता है कि प्रागैतिहासिक दुनिया ऐसे जीवन रूपों से भरी हुई थी, जो हमारी सबसे कल्पनाशील अपेक्षाओं से भी परे थी।
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