अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

अजय अमिताभ 'सुमन'

 जन्मस्थान : दाउदपुर, सारण, बिहार
भाषाएँ : हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में समान अधिकार।
आत्म कथ्य : जीवन में बहुत  सारी घटनाएँ ऐसी घटती हैं जो मेरे हृदय को आंदोलित करती हैं। फिर चाहे ये प्रेम हो, क्रोध हो, क्लेश हो, ईर्ष्या हो, आनन्द हो, दुःख हो, सुख हो, विश्वास हो, भय हो, शंका हो, प्रसंशा हो इत्यादि। ये सारी घटनाएँ यदा कदा मुझे आंतरिक रूप से उद्वेलित करती हैं। मैं बहिर्मुखी स्वाभाव का हूँ और ज़्यादातर मौक़ों पर अपने भावों का संप्रेषण कर ही देता हूँ। फिर भी  बहुत सारे मुद्दे या मौक़े ऐसे होते हैं जहाँ भावों का संप्रेषण नहीं होता या यूँ कहें कि हो नहीं पाता। यहाँ पे मेरी लेखनी मेरा साथ निभाती है और मेरे हृदय की बेचैनी को ज़माने तक लाने में सेतु का कार्य करती है। 


हृदय रुष्ट है कोलाहल में,
जीवन के इस हलाहल ने,
जाने कितने चेहरे गढ़े,
दिखना मुश्किल वो होता हूँ।
हौले कविता मैं गढ़ता हूँ।

जिस पथ का राही था मैं तो,
प्यास रही थी जिसकी मुझको,
निज सत्य का उद्घाटन करना, 
मुश्किल होता मैं खोता हूँ।
हौले कविता मैं गढ़ता हूँ।
प्रकाशन : अनगिनत क़ानूनी संबंधी लेख क़ानूनी पत्रिकाओं में प्रकाशित। वकालत करने के अलावा साहित्य में रुचि रही है। 
अनगिनत पत्र, पत्रिकाओं में प्रकाशन। रचनाकार, हिंदी लेखक, स्टोरी मिरर, मातृ भारती, प्रतिलिपि, नव भारत टाइम्स, दैनिक जागरण, सपीकिंग ट्री, आज, हिंदुस्तान, नूतन पथ, अमर उजाला इत्यादि पत्रिका और अख़बारों में रचनाओं का प्रकाशन।
संप्रति : अधिवक्ता: हाई कोर्ट ऑफ़ दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट में पिछले एक दशक से ज़्यादा समय से बौद्धिक संपदा विषयक क्षेत्र में वकालत जारी।

सम्पर्क : ajayamitabh7@gmail.com

लेखक की कृतियाँ

कविता

कहानी

सांस्कृतिक कथा

सामाजिक आलेख

सांस्कृतिक आलेख

हास्य-व्यंग्य कविता

नज़्म

किशोर साहित्य कहानी

कथा साहित्य

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं