दिल से ग़ज़ल तक
40. हैवानियत के सामने इन्सानियत झुके
221 2121 1221 212
हैवानियत के सामने इन्सानियत झुके
सर शर्म से वहीं जो झुका दें तो ठीक है
है सूनी सूनी सोच, कँवारी भी है अभी
शब्दों से माँग उसकी सज़ा दें तो ठीक है
किस काम का उजाला जो बीनाई छीन ले
पलकों पे उसके परदा गिरा दें तो ठीक है
अपना ही चेहरा देख के होता है खौफ़-सा
टूटा वो आईना ही हटा दें तो ठीक है
सौदा हुआ तो क्या हुआ दो कौड़ियों के दाम
सस्ता न इतना ख़ुद को बना दें तो ठीक है
नीदों के इंतज़ार में रातें गुज़र गई
आँखों में सोए ख़्वाब जगा दें तो ठीक है
क्या ख़ुद ही ठूँस ठूँस के खाते हैं उम्र भर
भूखों को पेट भरके खिला दें तो ठीक है
वो आशना जो रहता है मुझसे ही बेख़बर
उस नामुराद को ही भुला दें तो ठीक है
पुस्तक की विषय सूची
- समर्पण
- दिल से ग़ज़ल तकः एक सन्दर्भ
- एक ख़ुशगवार सफ़र-दिल से ग़ज़ल तक
- दिल से ग़ज़ल तक अज़, देवी नागरानी
- मेरी ओर से—दिल से ग़ज़ल तक
- 1. सफ़र तय किया यारो दिल से ग़ज़ल तक
- 2. सागर के तट पे आते ही जिसने रची ग़ज़ल
- 3. सुन सको तो सुन लो उनकी दर्द जिनके दिल में है
- 4. न जाने क्यों हुई है आज मेरी आंख कुछ यूँ नम
- 5. ज़िन्दगी करना बसर उसके सिवा मुश्किल मगर
- 6. ग़लत फ़हमी की ईंट छोटी थी फिर भी
- 7. माफ़ कैसे गुनह हुआ यारो
- 8. इल्म होगा उसको फिर तन्हाइयों का
- 9. हमसफ़र बिन है सफ़र ये जाने मंज़िल है कहाँ
- 10. ग़म कतारों में खड़े बाहर, मैं भीतर था निहाँ
- 11. कहाँ हैं गए सारे बच्चों के बच्चे
- 12. रौशनी की ये नदी बहती रहेगी रात भर
- 13. मिट्टी को देके रूप नया बुत बना दिया
- 14. राज़ की है बात जो भी राज़ उसको रहने दो
- 15. तेरे दर पर टिकी हुई है नज़र
- 16 . शमअ पर वो था जला बेवजह
- 17. ये हमराज़ को उसने बोला ही होगा
- 18. बेवफ़ा से मुलाक़ात होती रही
- 19. कल जली जो ग़रीबों की थीं झुग्गियाँ
- 20. वो है रहता ख़फ़ा ख़फ़ा मुझसे
- 21. होगा विश्वास उन शफ़ाओं में
- 22. भीड़ में वो सदा रहा तन्हा
- 23. है ये अनजान सा सफ़र तो नहीं
- 24. शायरी इक इबादत है
- 25. हिफाज़त में हैं उसकी सब, इनायत की वो चादर है
- 26. फिर तो सब राज़ होंगे अयाँ देख लो
- 27. तेरे मेरे बीच वो नाता न था
- 29. कैसी ख़बरें हैं ये, क्या समाचार है
- 30. बादशाहत है कहीं और हैं कहीं गुमनामियाँ
- 31. क्या करता है तेरी मेरी, इन बातों में क्या रक्खा है
- 32. कहीं सर किसी का सलामत नहीं है
- 33. शोर में भी ख़फ़ा है ये ख़ामोशियाँ
- 34. होती बेबस है ग़रीबी क्या करें
- 35. उसे ले आई जो शक्ति, वो आस्था की थी
- 36. नया रंग हो नया ढंग हो, नई आस और उमंग हो
- 37. ईंट-गारा हर तरफ़ है घर नज़र आता नहीं
- 38. जब भी बँटवारे की सूरत आ गयी
- 39. क्यों बात को बढ़ा के यूँ चर्चा बना दिया
- 40. हैवानियत के सामने इन्सानियत झुके
लेखक की पुस्तकें
लेखक की अनूदित पुस्तकें
लेखक की अन्य कृतियाँ
बाल साहित्य कविता
ग़ज़ल
- अब ख़ुशी की हदों के पार हूँ मैं
- उस शिकारी से ये पूछो
- चढ़ा था जो सूरज
- ज़िंदगी एक आह होती है
- ठहराव ज़िन्दगी में दुबारा नहीं मिला
- तू ही एक मेरा हबीब है
- नाम तेरा नाम मेरा कर रहा कोई और है
- बंजर ज़मीं
- बहता रहा जो दर्द का सैलाब था न कम
- बहारों का आया है मौसम सुहाना
- भटके हैं तेरी याद में जाने कहाँ कहाँ
- या बहारों का ही ये मौसम नहीं
- यूँ उसकी बेवफाई का मुझको गिला न था
- वक्त की गहराइयों से
- वो हवा शोख पत्ते उड़ा ले गई
- वो ही चला मिटाने नामो-निशां हमारा
- ज़माने से रिश्ता बनाकर तो देखो
आप-बीती
कविता
साहित्यिक आलेख
कहानी
अनूदित कहानी
पुस्तक समीक्षा
बात-चीत
अनूदित कविता
पुस्तक चर्चा
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं