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अब मैंने अपना अख़बार निकाला

 

वैसे सोशल मीडिया को निचोड़-मरोड़ कर अपुन ने काफ़ी रस निकाल लिया था। तिस पर जी नहीं भरा तो कुछ और भी सोचा है। मुंशी जी, विद्यार्थी जी (अतीत से) जनमेजय जी, अनूप जी (वर्तमान से) आदि स्वप्न में आते रहे। उनकी भाँति सृजन तो बस का है नहीं मगर कुछ न कुछ ख़ुराफ़त तो कर ही सकते हैं। पत्र-पत्रिका छपने के लिए मेरी ओर कातर दृष्टि से देख रहे हैं। मैं इतनी भी निष्ठुर नहीं हूँ। तनिक संवेदनशीलता तो है ही मुझ में, साहित्य जगत में बीपी एल सरीखी . . .। तो मैंने निर्णय ले लिया—अपना अख़बार निकालूँगी। इस हेतु मेरी नियमावली यह है। यदि आप भी कोई रचनात्मक अंडा काफ़ी समय से ‘से’ रहे हैं और प्रकाशनार्थ चूज़ा बस निकलने ही वाला है तो यह आलेख आप ही के लिए है। आप अधोहस्ताक्षरित के मेल पर अपनी रचना ठेल देवें। मेरे अख़बार का परिचय सहित इसमें छपने की शर्तें कुछ इस तरह हैं: 

  1. मेरे अख़बार के फ्रंट पेज पर, ऊपर कोने में, मेरा फोटो छपेगा। आपका नहीं। और हाँ, आप इसे ज़ूम करके अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट करेंगे। 

  2. इसमें अपनी रचना के साथ अपना स्वीट सिक्सटीन वाला फोटो अवश्य भेजें, भले ही बिटर सिक्सटी के हों! यही आपकी रचना के स्वीकार-अस्वीकार का आधार बनेगा। 

  3. रचना के साथ अपना बायोडाटा भेजें जिसे पढ़ कर ऐसा लगना चाहिए कि आप अपनी आरती स्वयं उतारने में सक्षम हैं। 

  4. रचनाकारों के लिए आवश्यक होगा कि मेरे जन्मदिन पर मेरे ऊपर कविता या प्रशस्ति लेख लिखें। मुझे बार-बार मूर्धन्य साहित्यकार, विधा में निष्णात या उम्दा क़लमकार आदि लिखें। शब्दकोश में ग़रीबी हो तो केवल वरिष्ठ से भी काम चल सकता है। हम आपको तब भी लेखक बना देंगे। 

  5. कालांतर में, मैं, अपनी स्मृति में ग्रंथ छपवाऊँगी। इसका शीर्षक होगा ‘अनीता का साहित्य में योगदान’ या ‘अनीता श्रीवास्तव की कालजयी रचनाएँ।’ इसमें आप सबके लिए भी एक-एक पन्ना निर्धारित होगा बशर्ते आपने चंदा दिया हो। और हाँ, आप लोग मेरी प्रशंसा में एक-एक पन्ना भरेंगे। 

  6. मैं अपने अख़बार के नाम का वाट्सएप साहित्यिक समूह बनाऊँगी। इस पर मेरी हर रचना की आप भूरि-भूरि प्रशंसा करेंगे। मैं फटा-टूटा कुछ भी लिखूँ आपको उसे कालजयी बनाना है। इसमें आप सभी को जुड़ने का अवसर मिलेगा। एडमिन बनना मेरा स्वप्न है। समूह संचालन साहित्य सेवा है। 

  7. वर्ष में एक बार सम्मान समारोह आयोजित होगा इसमें मेरी पहचान के साहित्यकार मुख्य अतिथि बनेंगे। अध्यक्ष वे बनेंगे, जो मुझे अपने कार्यक्रम में बनाते हैं। यदि आप भी कोई संस्था चलाते हैं तो अध्यक्षी के लिए मेरे नाम पर विचार कर सकते हैं और इस हेतु मुझसे संपर्क कर सकते हैं। इससे आपकी अध्यक्षी के रास्ते खुलेंगे। आप इसमें काव्य पाठ कर सकते हैं, अगर कविता न लिखते हों तो जुगाड़ कर लें। 

  8. इस अख़बार को विज्ञापन दिलाने का काम आपका है। 

उपर्युक्त शर्तों के आलोक में साहित्य का वट वृक्ष फल-फूल लेगा। हिंदी की सेवा हो लेगी और आपकी एक लेखक के तौर पर धाक जमेगी। यद्यपि स्वयं की यशलिप्सा ही मेरा अभीष्ट है तो भी आपकी यश वृद्धि पर मुझे आपत्ति न होगी, आप ध्यान रखेंगे यह मुझसे किसी भी सूरत में अधिक न हो। 

चित्रांश कॉलोनी, टीकमगढ़, मध्यप्रदेश

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