हौसला रखो प्यारे बच्चे
बाल साहित्य | किशोर साहित्य कविता संदीप कुमार तिवारी1 Dec 2020
इक सुन्दर सा दृश्य बनोगे
कल तुम ही भविष्य बनोगे
तुम सच्चे हो भोलेभाले हो
तुम ही कल के रखवाले हो
तुम हौसला रखो प्यारे बच्चे।
यहाँ विनम्रता में उपलब्धि है
सविनय प्रेम ही प्रसिद्धि है
जीवन तम में खो मत जाना
सदा प्रेम का दीप जलाना
यही हौसला रखो प्यारे बच्चे।
धर्म क्या है ये तुम पहचानो
देश को ही सर्वोपरि तुम मानो
डालो तुम सबसे पहली आदत
सदा करेंगे वतन की हिफ़ाज़त
सदा ये हौसला रखो प्यारे बच्चे।
ख़ुशियों के रंग रंगोली होना
दीपक और दीपावली होना
विचलित और दुःखी मत होना
बस अंत में मुझे यही है कहना
सदा हौसला रखो प्यारे बच्चे।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
आज के हम बच्चे
किशोर साहित्य कविता | प्रतीक्षा नारायण बडिगेरहम नन्हे-मुन्हे तारे, आओ टिमटिमाएँ सारे।…
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
किशोर साहित्य कविता
कविता
गीत-नवगीत
किशोर हास्य व्यंग्य कविता
कविता-मुक्तक
विडियो
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
{{user_name}} {{date_added}}
{{comment}}