साहित्य के संकट
काव्य साहित्य | कविता आलोक कौशिक15 Apr 2020
संकट साहित्य पर
है बड़ा ही घनघोर
धूर्त बना प्रकाशक
लेखक बना है चोर
भूखे हिंदी के सेवक
रचनाएँ हैं प्यासी
जब से बनी है हिंदी
धनवानों की दासी
नक़ल चतुराई से
कर रहा क़लमकार
हतप्रभ और मौन
है सच्चा सृजनकार
प्रकाशन होता पैसों से
मिलता छद्म सम्मान
लेखक ही होते पाठक
करते मिथ्याभिमान
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