बचाएँगे
बाल साहित्य | किशोर साहित्य कविता डॉ. जियाउर रहमान जाफरी1 May 2021 (अंक: 180, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
सबको आफ़त से हम बचाएँगे
बेसबब हाथ न मिलाएँगे
ये कोरोना बड़ा ही है मूज़ी
इसके हम न क़रीब जायेंगे
हाँ अगर काम पड़ गया कुछ भी
हाथ धोयेंगे और धुलायेंगे
ये जो खाँसी, बुख़ार, सर्दी है
इसकी हम जाँच भी कराएँगे
है बीमारी तो ठीक भी होगी
इस क़दर हम न टूट जायेंगे
हाँ पड़ोसी पे भी नज़र रखें
हम तो अपना फ़र्ज़ निभाएँगे
हाँ बहुत मास्क भी ज़रूरी है
इससे ख़ुद को भी हम बचाएँगे
जैसी मुश्किल हो जाफरी साहब
हम तो बस रौशनी जलाएँगे
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