वक़्त तू धीरे न चल, उस दिन का है मुझे इंतजार
काव्य साहित्य | कविता अजयवीर सिंह वर्मा ’क़फ़स’1 Feb 2020 (अंक: 149, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
वक़्त तू धीरे न चल, उस दिन का है मुझे इंतजार
गजरा लगेगा ज़ुल्फ़ में ज़ुल्फ़ महक को लूटने
लूटते लूट जाएगा अपनी महक भी ज़ुल्फ़ में
महक भर वो आएगी, उस दिन का है मुझे इंतजार
वक़्त तू धीरे न चल...
यह पायल जब उसके पाँव की बेड़ी बन जाएगी
फिर वो अपनी आहट मुझसे किस तरह छुपाएगी
छमक कर वो आएगी, उस दिन का है मुझे इंतजार
वक़्त तू धीरे न चल...
घुल कर ये हिना उसके हाथों पे बिखर जाएगी
उसकी दमक से काया उसकी और भी निखर जाएगी
दमक कर वो आएगी, उस दिन का है मुझे इंतजार
वक़्त तू धीरे न चल...
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